Delhi Yamuna Pollution: दिल्ली में छठ पूजा पर यमुना प्रदूषण को लेकर AAP और बीजेपी आमने-सामने, सियासी घमासान तेज

Delhi Yamuna Pollution: दिल्ली में छठ पूजा पर यमुना प्रदूषण को लेकर AAP और बीजेपी आमने-सामने, सियासी घमासान तेज
दिल्ली में छठ पूजा के मौके पर यमुना नदी के प्रदूषण को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी के बीच सियासी जंग तेज हो गई है। AAP का दावा है कि यमुना का पानी नहाने लायक भी नहीं रह गया है और इसमें फीकल कंटेंट खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। पार्टी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की 9 अक्टूबर की लैब रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आईटीओ समेत प्रमुख घाटों पर फीकल कॉलिफॉर्म की मात्रा मानकों से तीन गुना अधिक है।
AAP दिल्ली प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि अगर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता यमुना के पानी की सफाई के दावे करती हैं तो उन्हें वजीराबाद से लिए गए पानी के सैंपल को खुद पीकर दिखाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि छठ व्रतियों के बच्चे इस दूषित पानी का उपयोग करेंगे तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। सौरभ भारद्वाज के साथ विधायक संजीव झा और प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ यमुना से लिए गए पानी के नमूने लेकर सीएम रेखा गुप्ता के आवास पहुंचे।
वहीं, दिल्ली सरकार के जल मंत्री परवेश वर्मा ने बिरला मंदिर छठ घाट का निरीक्षण किया, जहां उनके साथ सांसद बांसुरी स्वराज भी मौजूद थीं। मीडिया से बातचीत में उन्होंने AAP के आरोपों का खंडन किया और कहा कि पहले की सरकारें त्योहारों को लेकर राजनीति करती थीं, लेकिन इस सरकार ने हजारों छठ घाट तैयार किए हैं और उनका पूरा खर्च दिल्ली सरकार वहन कर रही है।
परवेश वर्मा ने बताया कि DPCC का सैंपल 9 अक्टूबर को लिया गया था, जबकि अब पानी की गुणवत्ता पहले से काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि छठ घाट पर आने वाली महिलाएं स्वयं कह रही हैं कि पानी पहले से साफ है। वर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार ने कभी यह दावा नहीं किया था कि सात महीने में यमुना पूरी तरह साफ हो जाएगी, लेकिन ईमानदारी से किए गए कार्यों के परिणाम स्पष्ट रूप से दिख रहे हैं।
इस बीच, यमुना नदी के प्रदूषण को लेकर दोनों दलों के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप ने दिल्ली की सियासी हलचल को बढ़ा दिया है। छठ पूजा के पर्व पर यह मुद्दा न केवल पर्यावरण के प्रति जनता की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह दिखाता है कि त्योहारों के मौके पर भी राजनीति तेज हो सकती है।


