Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश उत्सव सदर बाजार में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया

Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश उत्सव सदर बाजार में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया गया
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
सदर बाजार के कुतुब रोड पर नौवें सिख गुरु, साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश उत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस आयोजन में फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड एसोसिएशन के चेयरमैन परमजीत सिंह पम्मा, अध्यक्ष राकेश यादव, महासचिव सतपाल सिंह मांगा, कार्यकरणीय अध्यक्ष चौधरी योगेंद्र सिंह, कोषाध्यक्ष दीपक मित्तल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष वरिंदर आर्य सहित अनेक व्यापारी और समाजसेवी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
समारोह में श्रद्धालुओं ने मिलकर गुरु महाराज के प्रकाश पर्व की खुशी में देश के सुख, शांति और समृद्धि के लिए अरदास की। इस अवसर पर प्रसाद वितरण किया गया और संगत के बीच भाईचारे का संदेश फैलाया गया। कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने गुरु जी के बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और बताया कि सदर बाजार एक ऐसा स्थान है, जहां सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर सभी पर्व और त्यौहार मनाते हैं। यही इस बाजार की सबसे बड़ी ताकत और विशेषता है।
चेयरमैन परमजीत सिंह पम्मा ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश उत्सव न केवल सदर बाजार में बल्कि पूरे देशभर में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास से मनाया जा रहा है। गुरुद्वारों को भव्य रूप से सजाया गया है, संगत भारी संख्या में दर्शन और अरदास के लिए पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक स्वतंत्रता, बहुलतावादी संस्कृति और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
गुरु जी का जीवन साहस, त्याग और सत्य की मिसाल है। उस समय जब सत्ता बलपूर्वक धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलना चाहती थी, तब उन्होंने अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाई और जबरन धर्मांतरण के विरोध में डटकर खड़े हो गए। उनका बलिदान दिल्ली के चांदनी चौक पर हुआ, लेकिन उनकी गूंज आज भी भारत सहित पूरे विश्व के मानवता प्रेमियों के हृदय में गूंज रही है।
राकेश यादव ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का जीवन केवल एक संत का नहीं, बल्कि एक युगद्रष्टा का जीवन था। उन्होंने यह प्रमाणित किया कि सच्चा गुरु केवल प्रवचन नहीं देता, वह स्वयं अग्नि में उतरकर समाज को प्रकाश देता है। उनका जीवन और बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रकाश पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह उस कर्तव्य और प्रतिबद्धता की स्मृति है जो हमें हमारी संस्कृति, मानवीय गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा हेतु अपनी सोच, वाणी और कर्म से संकल्पबद्ध रहने की प्रेरणा देता है। सदर बाजार में यह आयोजन भाईचारे, सद्भाव और साझा संस्कृति का जीवंत उदाहरण बन गया, जो गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं का सार है।