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Swami Chaitanyananda: स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर बड़ा एक्शन: 8 करोड़ रुपये फ्रीज, कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज की

Swami Chaitanyananda: स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर बड़ा एक्शन: 8 करोड़ रुपये फ्रीज, कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज की

दिल्ली पुलिस ने स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उनके लगभग 8 करोड़ रुपये को फ्रीज कर दिया है। यह रकम 18 अलग-अलग बैंक खातों और 28 फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा थी। जांच में सामने आया है कि ये सभी धनराशि आरोपी पार्थसारथी द्वारा बनाए गए ट्रस्ट से जुड़ी हुई है। इस बीच पटियाला हाउस कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी, जिससे उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।

स्वामी चैतन्यानंद पर श्री शारदा पीठम, श्रृंगेरी की संपत्ति में धोखाधड़ी, जालसाजी और करोड़ों रुपये के गबन के गंभीर आरोप हैं। अदालत ने साफ कहा कि मामले की गहराई से जांच और साजिश का पर्दाफाश करने के लिए कस्टोडियल इंटरोगेशन (हिरासत में पूछताछ) जरूरी है। एएसजे-02 डॉ. हरदीप कौर ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि आरोपी प्रभावशाली हैं और सबूतों या गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

FIR और आरोपों का ब्योरा

यह मामला FIR नंबर 320/2025 के तहत वसंत कुंज (उत्तर) थाने में दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता पी.ए. मुरली ने आरोप लगाया कि स्वामी ने श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट-रिसर्च का प्रबंधन अपने हाथ में लेकर वसंत कुंज स्थित प्लॉट नंबर 7 को फर्जी ट्रस्ट के नाम कर तीसरे पक्षों को उप-लीज पर देकर करोड़ों रुपये कमाए। आरोप है कि लगभग 40 करोड़ रुपये का दुरुपयोग हुआ।

जांच में यह भी सामने आया कि स्वामी ने बिना AICTE की अनुमति के संस्थान का नाम बदल दिया और सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी करते हुए जाली दस्तावेज तैयार किए। इतना ही नहीं, आयकर छूट पाने के लिए भी फर्जी दस्तावेज पेश किए गए।

दो नामों से पासपोर्ट और पैन कार्ड

पुलिस जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि आरोपी ने दो अलग-अलग नामों से पासपोर्ट और पैन कार्ड बनवाए। एक दस्तावेज पर उनका नाम पार्थसारथी था, जबकि दूसरे पर स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती। दोनों में पिता का नाम और जन्मस्थान अलग-अलग दर्ज है। आरोपी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में दोनों नामों से खाते भी बनाए और FIR दर्ज होने के बाद यस बैंक से करीब 50-55 लाख रुपये निकाले।

अदालत का निर्णय

अदालत ने आरोपी की दलील को खारिज कर दिया जिसमें उनके वकीलों ने कहा था कि यह केवल सिविल विवाद है और आपराधिक रंग देना गलत है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले P. Krishna Mohan Reddy Vs. State of Andhra Pradesh का हवाला देते हुए कहा कि अग्रिम जमानत से जांच प्रभावित हो सकती है। साथ ही अदालत ने यह भी दर्ज किया कि आरोपी अपने पते पर उपलब्ध नहीं हैं और उनका मोबाइल फोन बंद है, जिससे भागने का खतरा है।

इस आदेश के बाद अब दिल्ली पुलिस स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती की गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज करेगी। पुलिस का मानना है कि उनकी हिरासत में पूछताछ से ट्रस्ट से जुड़े आर्थिक घोटाले, फर्जी दस्तावेज और गबन की साजिश की पूरी तस्वीर सामने आ सकेगी।

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