Jaipur Serial Blast: जयपुर सीरियल ब्लास्ट: 17 साल बाद चार दोषियों को उम्रकैद, पीड़ितों ने फैसले पर जताया संतोष

Jaipur Serial Blast: जयपुर सीरियल ब्लास्ट: 17 साल बाद चार दोषियों को उम्रकैद, पीड़ितों ने फैसले पर जताया संतोष
जयपुर, राजस्थान — राजस्थान की राजधानी जयपुर को 13 मई 2008 को हिला देने वाले भीषण सीरियल बम धमाकों के मामले में आखिरकार 17 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद न्याय मिला है। मंगलवार को स्पेशल कोर्ट ने इस आतंकी हमले के चार दोषियों — सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद — को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इससे पहले शुक्रवार को कोर्ट ने इन्हें दोषी करार दिया था। पीड़ितों और उनके परिवारों ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया और इसे न्याय की जीत बताया।
जयपुर में हुए इस आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। महज कुछ ही मिनटों के अंतराल पर शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में आठ सीरियल ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 71 लोगों की जान चली गई थी और 185 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। एक नौवां बम भी मिला था, जिसे समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया था। यह बम चांदपोल बाजार स्थित एक गेस्ट हाउस के पास मिला था। हमले के बाद पूरे देश में दहशत फैल गई थी और कई शहरों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
घटना के करीब दो दशक बाद स्पेशल कोर्ट ने सजा सुनाते हुए यह स्पष्ट किया कि दोषियों का अपराध बेहद संगीन है और उनके प्रति किसी भी तरह की नरमी समाज व न्याय व्यवस्था के लिए नुकसानदायक होगी। सरकारी वकील सागर तिवाड़ी ने अदालत में बहस के दौरान कहा कि इन चारों आतंकियों को उनके शेष जीवनकाल तक जेल में रखा जाए। उन्होंने तर्क दिया कि यह सामान्य अपराध नहीं बल्कि राष्ट्रविरोधी कृत्य है, जिसने न सिर्फ 71 निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा को भी गंभीर चुनौती दी।
दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील मिन्हाजुल हक ने कोर्ट से नरमी बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि आरोपी पिछले 15 वर्षों से जेल में हैं और अन्य आठ मामलों में राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें बरी किया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि दोषियों को 2008 से ही हिरासत में माना जाना चाहिए, जबकि कोर्ट ने उनकी सजा की गणना 2019 से मानी है। वकील ने यह भी बताया कि कोर्ट का विस्तृत फैसला 600 पन्नों का है और उसे पढ़ने के बाद हाईकोर्ट में अपील की जाएगी।
कोर्ट के इस फैसले पर पीड़ितों की प्रतिक्रिया भावनात्मक रही। रमा देवी शर्मा, जो उस समय दुकान पर मौजूद थीं और ब्लास्ट में घायल हुई थीं, ने कहा, “धमाके में मेरे सिर पर चोट लगी थी और काफी खून बहा था। आज इन दोषियों को सजा मिलने से सुकून मिला है। जैसा कर्म, वैसा फल।” एक अन्य पीड़ित ने बताया, “ब्लास्ट के दौरान शरीर में छर्रा लगा, जो आज भी अंदर है। डॉक्टरों ने कहा कि उसे निकालना याद्दाश्त पर असर डाल सकता है। अब दोषियों को सजा मिली है तो दिल को सुकून है।”
जयपुर ब्लास्ट केस में यह फैसला भारत की न्याय व्यवस्था की जटिल प्रक्रिया और पीड़ितों के लंबे संघर्ष की गवाही देता है। हालांकि इसमें सालों लग गए, लेकिन अंततः दोषियों को कानून के कठघरे में लाया गया और सजा सुनाई गई। अब यह देखना शेष है कि दोषी पक्ष हाईकोर्ट में अपील करते हैं या नहीं, लेकिन फिलहाल पीड़ितों को वर्षों की पीड़ा के बाद एक सुकून देने वाला पल जरूर मिला है।
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