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Iran Israel War: ईरान-इज़राइल युद्ध में अब तक 950 मौतें, अमेरिका ने भी किया परमाणु ठिकानों पर हमला, हालात बेहद गंभीर

Iran Israel War: ईरान-इज़राइल युद्ध में अब तक 950 मौतें, अमेरिका ने भी किया परमाणु ठिकानों पर हमला, हालात बेहद गंभीर

तेहरान/तेल-अवीव/वॉशिंगटन, 14 जून — मध्य-पूर्व एक बार फिर युद्ध की आग में जल रहा है। 13 जून की रात इज़रायल द्वारा ईरान पर किए गए भयानक हवाई हमले ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी। इस एयरस्ट्राइक में अब तक 950 लोगों की मौत और 3,450 से अधिक घायल होने की पुष्टि हुई है। इसके जवाब में अमेरिका ने भी ईरान के तीन मुख्य परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान — पर मिसाइल हमले किए हैं। इसके साथ ही पश्चिम एशिया में हालात और भी विस्फोटक हो गए हैं।

ईरान का जवाबी हमला
इस हमले के तुरंत बाद ईरान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी और इज़रायल के तेल अवीव सहित दस से अधिक शहरों पर मिसाइलें दाग दीं। इन हमलों में अब तक 11 लोगों के घायल होने की सूचना है। रिपोर्ट्स के अनुसार, हाइफा में बैलिस्टिक मिसाइल आकर गिरी, और राजधानी तेल-अवीव में “एयर सायरन” तक फेल हो गए। नागरिकों में भारी दहशत का माहौल है।

अमेरिका की भूमिका
हालांकि अमेरिका ने सीधे तौर पर ईरान पर जमीनी हमला नहीं किया है, लेकिन मिसाइल इंटरसेप्शन और रणनीतिक ठिकानों पर हमलों के ज़रिए उसने यह संकेत स्पष्ट कर दिया है कि वह इज़रायल के साथ खड़ा है। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि ईरान ने बातचीत का रास्ता नहीं अपनाया तो अमेरिका “और बड़े हमले” कर सकता है। उन्होंने ईरान को दो हफ्तों का अल्टीमेटम देते हुए सीजफायर और कूटनीतिक वार्ता की मांग की है।

हूती विद्रोहियों की धमकी
इस युद्ध को और व्यापक बनाने का संकेत उस वक्त मिला जब ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों ने चेतावनी दी कि यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला जारी रखा तो वे लाल सागर में अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाएंगे। यह चेतावनी अमेरिका के लिए नई चुनौती बन सकती है क्योंकि लाल सागर अंतरराष्ट्रीय व्यापार और नौवहन के लिहाज से बेहद अहम है।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं: समर्थन और विरोध
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी हमले का समर्थन करते हुए इसे “शक्ति के बल पर शांति की दिशा में कदम” बताया है। दूसरी ओर रूस और चीन ने अमेरिकी कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। रूस के विदेश मंत्रालय ने इसे क्षेत्रीय शांति के लिए घातक बताते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। चीन ने भी संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हवाला देते हुए अमेरिका की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया है।

हालात की जटिलता और चिंता
क्षेत्रीय सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, यह टकराव अब सीधे युद्ध की दिशा में बढ़ रहा है और यदि जल्द ही सीजफायर या शांति वार्ता की शुरुआत नहीं हुई तो यह संघर्ष वैश्विक संकट का रूप ले सकता है। भारत, खाड़ी देशों और तेल आयात पर निर्भर राष्ट्रों के लिए भी यह स्थिति चिंताजनक है। दुनिया की नजर अब इस पर है कि अगला कदम कौन उठाता है — बातचीत या और धमाके?

निष्कर्ष
ईरान, इज़रायल और अमेरिका के त्रिकोणीय संघर्ष ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पश्चिम एशिया की अस्थिरता केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक संकट बन सकती है। सभी देशों से संयम, संवाद और कूटनीति की उम्मीद की जा रही है, लेकिन युद्ध की लपटें फिलहाल थमती नहीं दिख रहीं।

 

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