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Tamil Nadu Custodial Death: तमिलनाडु पुलिस हिरासत में मंदिर गार्ड की मौत ने खोली बर्बरता की परतें, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 44 गंभीर चोटों का खुलासा

Tamil Nadu Custodial Death: तमिलनाडु पुलिस हिरासत में मंदिर गार्ड की मौत ने खोली बर्बरता की परतें, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 44 गंभीर चोटों का खुलासा

तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के थिरुपुवनम में हिरासत में लिए गए मंदिर के अस्थायी सुरक्षा गार्ड अजित कुमार की मौत का मामला अब गहराता जा रहा है। मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस हिरासत में की गई कथित क्रूरता की दिल दहला देने वाली तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट में कुल 44 गंभीर चोटों और यातनाओं के निशान मिले हैं, जो न केवल पुलिस की कार्रवाई पर बल्कि मानवाधिकारों की बुनियाद पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के पूरे शरीर पर गहरे घाव, काले-लाल रंग की चोटें, खरोंच और खून के जमाव के चिन्ह मौजूद थे। विशेष रूप से उसके माथे, भौंह, छाती, पीठ, जांघों, हाथ-पैर, हथेलियों और तलवों तक पर गंभीर और गहरे निशान पाए गए। चोटें इतनी गंभीर थीं कि कई मांसपेशियों तक गहरी थीं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शरीर पर समानांतर रेखाओं जैसी चोटें थीं, जो किसी कठोर वस्तु से बार-बार मारे जाने की ओर इशारा करती हैं।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पोस्टमार्टम में दांतों के काटने के निशान और ‘C’ आकार की असामान्य चोटें भी पाई गईं, जो अत्यधिक अमानवीय यातना की ओर संकेत करती हैं। अजित के सिर की त्वचा के नीचे सबस्कैल्पल हेमरेज, मस्तिष्क के दोनों हिस्सों में रक्तस्राव, हार्ट के हिस्सों में पैटीशियल हेमरेज और लीवर व पेट में भी कई स्थानों पर अंदरूनी खून का रिसाव पाया गया।

यह रिपोर्ट सीधे-सीधे इस ओर संकेत करती है कि अजित कुमार को हिरासत के दौरान बार-बार, सुनियोजित और जानलेवा तरीके से शारीरिक यातना दी गई। रिपोर्ट में उल्लेख है कि शरीर के लगभग हर हिस्से पर अलग-अलग प्रकार की चोटें थीं, जो यह दर्शाती हैं कि यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि हिरासत में की गई बर्बरता का मामला है।

इस घटना ने राज्य सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। जनता के बढ़ते गुस्से और विपक्षी दलों की आलोचना के बाद, तमिलनाडु सरकार ने इस मामले में पांच पुलिसकर्मियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के निर्देश के बाद मामला अब केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंप दिया गया है।

मंदिर गार्ड अजित कुमार की मौत की यह घटना एक बार फिर भारत में पुलिस हिरासत के भीतर हो रही बर्बरता और प्रताड़ना की गंभीरता को उजागर करती है। जहां न्याय देने वाली संस्था स्वयं मानवाधिकारों का हनन करती नजर आए, वहां कानून का डर नहीं बल्कि उसका दुरुपयोग भय पैदा करता है।

अब देश भर की निगाहें इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने पर टिकी हैं। यह सिर्फ अजित के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक के अधिकारों की सुरक्षा की लड़ाई है।

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