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‘दोषी सांसदों पर आजीवन प्रतिबंध लगाना सही नहीं’, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का जवाब

Supreme Court: केंद्र सरकार ने दोषी सांसदों और विधायकों के चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया. केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध कठोर होगा. केंद्र सरकार ने मौजूदा कानून की वकालत करते हुए इसे ही जारी रखने की बात कही है.

‘आजीवन प्रतिबंध लगाना उचित नहीं’

मौजूदा कानून के मुताबिक, दो साल से ज्यादा की कैद होने पर सजा पूरी करने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने पर रोक रहती है. यानी सजा काटने के बाद छह साल पूरे होने पर व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है. केंद्रीय विधि मंत्रालय की ओर से मंगलवार (25 फरवरी 2025) को दाखिल हलफनामे में कहा गया, “संसदीय नीति के तहत आरोपित धाराओं के तहत की गई अयोग्यताएं समय तक सीमित हैं. इस मुद्दे पर आजीवन प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा.”

वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में जनहित याचिका लगाई थी, जिसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई. उन्होंने पूछा था कि राजनीति पार्टियों को यह बताना चाहिए कि आखिर वे अच्छे छवि वाले लोगों को क्यों नहीं ढूंढ़ पाते हैं.

केंद्र सरकार ने हलफनामें में क्या कहा?

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था कि जब किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जाता है तो वह जीवन भर के लिए सेवा से बाहर हो जाता है तो फिर कोई दोषी शख्स संसद में फिर से कैसे जा सकता है? कोर्ट ने पूछा था कि आखिर कानून तोड़ने वाले कानून बनाने का काम कैसे कर सकते हैं? केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि सांसदों की अयोग्यता पर फैसला करने का अधिकार पूरी तरह से संसद के पास है और यह न्यायिक समीक्षा से परे है.

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