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Ramban Landslide: रामबन में बादल फटने से भारी तबाही: सेना ने संभाला मोर्चा, 48 घंटे में बहाल होगा NH-44

Ramban Landslide: रामबन में बादल फटने से भारी तबाही: सेना ने संभाला मोर्चा, 48 घंटे में बहाल होगा NH-44

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। क्षेत्र में बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ से भारी तबाही मची है। बाढ़ और भूस्खलन की वजह से करीब 100 घर बर्बाद हो गए हैं, जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग NH-44 पर यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। आपदा के तुरंत बाद भारतीय सेना ने राहत एवं बचाव कार्य की कमान संभाल ली है और युद्धस्तर पर अभियान चलाया जा रहा है।

प्रभावित इलाकों में सेना के त्वरित प्रतिक्रिया दल (QRT) को तैनात किया गया है, जिनमें बनिहाल, कराचियाल, डिगदौल, मैत्रा और चंदरकोट से पहुंचे जवान शामिल हैं। सेना की आठ टुकड़ियां प्रमुख स्थानों पर स्टैंडबाय पर हैं ताकि किसी भी स्थिति में तत्काल सहायता दी जा सके। सेना ने जिला प्रशासन, पुलिस और यातायात विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर समन्वय स्थापित कर राहत कार्यों को गति दी है। मौके पर पहुंचे अफसरों ने स्थिति का जायजा लिया और राहत कार्यों को निर्देशित किया।

रामबन जिले के धर्म कुंड गांव सहित कई अन्य स्थानों में जलप्रलय जैसे हालात बन गए हैं। बाढ़ के कारण कई घर बह गए हैं और लोग अपने सामान व आश्रय से वंचित हो गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने 21 अप्रैल को जिले के सभी स्कूल और कॉलेज बंद रखने के आदेश दिए हैं। इस भयावह आपदा में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि सौ से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। राहत शिविरों में प्रभावित लोगों को भोजन, चिकित्सा और आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर यातायात पूरी तरह ठप हो चुका है। सड़क पर जगह-जगह मलबा और पानी भर गया है, जिससे संपर्क मार्ग कट गए हैं। इस प्रमुख मार्ग को दोबारा खोलने के लिए भारतीय सेना के साथ-साथ केआरसीएल, सीपीपीएल और डीएमआर जैसी निर्माण एजेंसियों के जेसीबी और अन्य भारी मशीनरी मौके पर पहुंच चुकी हैं। सड़क की सफाई का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है और सेना ने आश्वासन दिया है कि आगामी 48 घंटों में इस राजमार्ग को यातायात के लिए बहाल कर दिया जाएगा।

मौके पर मौजूद लोगों ने भारतीय सेना पर गहरा भरोसा जताया है। एक फंसे हुए व्यक्ति ने बताया कि “हमें कोई चिंता नहीं है, सेना है न, सब ठीक हो जाएगा।” यह विश्वास सेना की कार्यकुशलता और उनके समर्पण को दर्शाता है। आपदा के इस कठिन समय में भारतीय सेना न केवल राहत कार्यों में सबसे आगे है, बल्कि स्थानीय जनता के लिए एक मजबूत संबल भी बनी हुई है।

रामबन की इस त्रासदी ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी संवेदनशीलता और तैयारियों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। लेकिन संकट की इस घड़ी में भारतीय सेना और प्रशासनिक मशीनरी ने जिस तत्परता और समर्पण से मोर्चा संभाला है, वह प्रशंसनीय है। राहत कार्य लगातार जारी हैं और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही स्थिति पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया जाएगा।

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