Faridabad: कश्मीर टू फरीदाबाद: AK-47 से लेकर 300 किलो विस्फोटक बरामद, डॉक्टर आदिल पर आतंकी साजिश का आरोप

Faridabad: कश्मीर टू फरीदाबाद: AK-47 से लेकर 300 किलो विस्फोटक बरामद, डॉक्टर आदिल पर आतंकी साजिश का आरोप
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक बड़ी आतंकी साजिश का भंडाफोड़ करते हुए श्रीनगर और हरियाणा के फरीदाबाद में समन्वित कार्रवाई में अहम सफलता हासिल की है। दो दिनों पहले श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) अनंतनाग में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर आदिल अहमद के लॉकर से एक एके-47 राइफल बरामद होने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था और उसकी निशानदेही पर फरीदाबाद से करीब 300 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक, एक और एके-47 राइफल और भारी मात्रा में जिंदा कारतूस तथा गोला-बारूद जब्त किए गए हैं। पुलिस का मानना है कि यह पूरे नेटवर्क किसी बड़े आतंकी हमले की साजिश से जुड़ा था और इसकी जांच अब विस्तृत रूप से की जा रही है।
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि 8 नवंबर को अनंतनाग के GMC में मिले एके-47 के बाद पूछताछ में आरोपी डॉक्टर आदिल के कई चौंकाने वाले खुलासे आए। उसके बयानों के आधार पर फरीदाबाद में छापेमारी की गयी जहां विस्फोटक सामग्री और अतिरिक्त हथियार बरामद हुए। अधिकारियों का अनुमान है कि इतनी बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किसी बड़े पैमाने पर विस्फोट करने के लिए ही किया जाना था।
जांच में प्रारंभिक रूप से यह भी संकेत मिले हैं कि आदिल का संबंध पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों से था या बाहरी स्रोतों के माध्यम से उसे सप्लाई या मार्गदर्शन मिल रहा था। सुरक्षा एजेंसियां इस कड़ी के तारों को जोड़ने, फंडिंग और आपूर्ति चैनलों की परतें खोलने तथा नेटवर्क में शामिल अन्य संदिग्धों की पहचान करने में जुटी हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि पूरे नेटवर्क में कई राज्यों के लोग शामिल हो सकते हैं और आगे और गिरफ्तारीयााँ हो सकती हैं।
फरीदाबाद में बरामद सामग्रियों की सुरक्षित तस्करी और स्टोरेज के बारे में भी एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं — यह पता लगाना प्राथमिकता में है कि विस्फोटक कैसे पहुंचा, किस तरह से यह स्टोर किया गया और इसका अंतिम लक्ष्य क्या था। प्रारंभिक तकनीकी जांच में लोकेशन डेटा, टेलीकम्युनिकेशन ट्रेस और वित्तीय लेनदेन की पड़ताल शुरू कर दी गयी है ताकि संदिग्ध कनेक्शनों का पूरा नक्शा तैयार किया जा सके।
पुलिस ने बताया कि बरामद की गई विस्फोटक सामग्री को सुरक्षित रूप से कब्जे में लेकर विशेषज्ञों की निगरानी में नष्ट या सुरक्षित किए जाने की प्रक्रिया आरम्भ की गयी है और साथ ही हथियारों के स्रोत का पता लगाने के लिए अंतर-राज्यीय समन्वय बढ़ा दिया गया है। शिनाख्त और बयानों के आधार पर अब यह देखना प्राथमिक होगा कि क्या यह सामग्री किसी सक्रिय ऑपरेशन की तैयारी थी या भविष्य के लिए स्टॉक रखी जा रही थी।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने जनता को आश्वस्त किया है कि स्थिति नियंत्रित है और कोई तत्काल खतरा नहीं है, पर व्यापक जांच के कारण अतिरिक्त सतर्कता बनाए रखी गयी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस और केन्द्रीय एजेंसियों के बीच समन्वय जारी है ताकि नेटवर्क के सभी पहलुओं को खोलकर जवाबदेही तय की जा सके।
कानूनी कार्रवाई की बात करें तो गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ आतंकवाद-रोधी धाराओं सहित हथियार और विस्फोटक अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाएंगे। आगे की जांच में जिन लोगों के नाम और कड़ियाँ निकलेंगी, उनके खिलाफ भी कार्रवाइयाँ तेज़ की जाएँगी। सुरक्षा एजेंसियाँ संभावित सहयोगियों और फंडिंग स्रोतों का पता लगाने के लिए विदेशी कनेक्शन की भी जांच कर रही हैं।
यह मामला चिकित्सकीय क्षेत्र में कार्यरत एक व्यक्ति के जरिए स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था में छेद उजागर करता है और यह सवाल उठाता है कि संवेदनशील संस्थानों में किस तरह की स्क्रीनिंग और निगरानी होनी चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों में सामान और स्टोरेज की नियमित ऑडिटिंग तथा कर्मचारियों की पृष्ठभूमि जांच और अधिक कड़ी की जानी चाहिए।
घटना की गंभीरता के मद्देनजर एजेंसियाँ आने वाले दिनों में और खुलासे कर सकती हैं, और यदि नेटवर्क की विस्तृत जड़ों का पता चलता है तो यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से और भी बड़ा रूप ले सकता है। फिलहाल जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रारंभिक छापे और हथियार व विस्फोटक बरामदगी की पुष्टि कर दी है और विस्तृत रिपोर्ट तथा गिरफ्तारी की जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है।



