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Nepal Crisis: नेपाल में जेलब्रेक पर गोलीबारी, सेना की फायरिंग से दो कैदियों की मौत, 15000 कैदी फरार

Nepal Crisis: नेपाल में जेलब्रेक पर गोलीबारी, सेना की फायरिंग से दो कैदियों की मौत, 15000 कैदी फरार

नेपाल इन दिनों गहरी राजनीतिक उथल-पुथल और अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि जेलों में बंद हजारों कैदी भी आज़ादी की कोशिश में बगावत कर चुके हैं। नेपाल के कई जिलों में एक साथ बड़े पैमाने पर जेल ब्रेक की घटनाएँ सामने आई हैं, जिनमें लगभग 15,000 कैदी भाग निकले हैं। इस बीच, नेपाल के रामेछाप जिले में फरार होने की कोशिश कर रहे कैदियों पर सेना ने गोली चला दी। इस फायरिंग में दो कैदियों की मौत हो गई और 10 अन्य कैदी गोली लगने से घायल हुए हैं।

नेपाल में सेना के नियंत्रण के बाद यह पहली बार है जब इस तरह से गोलीबारी हुई। सेना का कहना है कि हालात को काबू में रखने और जेलों में अराजकता रोकने के लिए फायरिंग की गई। लेकिन इस घटना ने नेपाल की बिगड़ती कानून-व्यवस्था और गहराते संकट की तस्वीर और साफ कर दी है।

नेपाल की गौर जेल से भागे 13 कैदियों को भारतीय सुरक्षा बलों ने बिहार के सीतामढ़ी जिले में पकड़ लिया है। वहीं काठमांडू की जेल से भागा एक बांग्लादेशी नागरिक भी भारत-नेपाल सीमा से हिरासत में लिया गया।

बिहार-नेपाल सीमा के रक्सौल बॉर्डर पर तैनात SSB की 47वीं बटालियन ने इस बांग्लादेशी कैदी को पकड़ा। संजय पांडे, जो इस बटालियन के कमांडेंट हैं, उन्होंने जानकारी दी कि बुधवार दोपहर तीन बजे के करीब संदिग्ध गतिविधियों के चलते एक व्यक्ति को रोका गया। पूछताछ में उसकी पहचान महमद अबुल हसन ढली के रूप में हुई। वह सोने की तस्करी के आरोप में नेपाल की काठमांडू जेल में पाँच साल से कैद था और हाल ही में हुए जेल ब्रेक में भागकर सीमा तक पहुँचा था। अबुल हसन ढली को आगे की कार्रवाई के लिए हरपुर थाना पुलिस को सौंप दिया गया है।

नेपाल की स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है। ओली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन तीसरे दिन भी जारी रहे। इसी अराजक माहौल में कैदियों ने जेलों से निकल भागने की कोशिशें तेज कर दीं। नेपाल के विभिन्न जिलों से 15,000 से अधिक कैदियों के फरार होने की पुष्टि की गई है।

राजनीतिक अस्थिरता और जेलों में सुरक्षा की कमजोर स्थिति ने नेपाल को गंभीर संकट में डाल दिया है। सीमा से सटे भारतीय इलाकों में भी अलर्ट घोषित कर दिया गया है। SSB की ओर से गश्त बढ़ा दी गई है ताकि नेपाल से भागकर कोई कैदी भारतीय इलाके में दाखिल न हो सके।

नेपाल की न्यायपालिका और सेना दोनों के सामने यह अब सबसे बड़ी चुनौती बन गई है कि वे न केवल जेल ब्रेक की घटनाओं को नियंत्रित करें बल्कि भाग चुके कैदियों को फिर से पकड़े और जनता में सुरक्षा का भरोसा बहाल करें।

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