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WJI Kerala Meeting: WJI की केरल राज्य वार्षिक बैठक गुरुवायूर में संपन्न, पत्रकार हितों पर दिया गया जोर

WJI Kerala Meeting: WJI की केरल राज्य वार्षिक बैठक गुरुवायूर में संपन्न, पत्रकार हितों पर दिया गया जोर

गुरुवायूर (केरल), 31 मई 2025 — वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया (WJI) की केरल राज्य इकाई की दूसरी वार्षिक आम बैठक 31 मई को ऐतिहासिक गुरुवायूर शहर में आयोजित की गई। यह बैठक पत्रकारों के संगठनात्मक मजबूती, उनके अधिकारों और कल्याण से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रही, जिसमें राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कई प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए।

इस अहम बैठक में स्वामी हरिनारायण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रांत प्रचार प्रमुख एम. गणेश, WJI के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय उपाध्याय, BMS के वरिष्ठ पदाधिकारी मुल्लापल्ली कृष्णमुद्री, राज्य समिति सदस्य बिज्जू थरयिल, शिजू थरयिल समेत कई वरिष्ठ पत्रकारों और प्रतिनिधियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन पूर्व अध्यक्ष शिजू थरयिल ने किया।

बैठक को संबोधित करते हुए गणेश जी ने पत्रकारिता के राष्ट्रीय हित में योगदान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की लेखनी देश की दिशा और दशा तय करने की क्षमता रखती है और इसे राष्ट्रहित से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उन्होंने देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300वीं जयंती की भी चर्चा की और इसे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताते हुए उपस्थित जनों को शुभकामनाएं दीं।

संजय उपाध्याय ने अपने संबोधन में पत्रकार समुदाय के बीच एकता, सहयोग और भाईचारे की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के कार्यस्थल की सुरक्षा, मानसिक और सामाजिक कल्याण, साथ ही आर्थिक मजबूती को लेकर अब ठोस नीति की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है, और ऐसे में संगठनों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।

बैठक के अंत में नई राज्य समिति का चुनाव सर्वसम्मति से किया गया। संतोष कुमार को अध्यक्ष और अजयकुमार को महासचिव चुना गया, जबकि समिति में कुल 14 सदस्य शामिल किए गए। नई समिति ने राज्य सरकार से यह मांग की कि केरल के सभी पत्रकारों को पत्रकार कल्याण योजनाओं का लाभ समान रूप से दिया जाए और किसी भी प्रकार का पक्षपात या भेदभाव न किया जाए।

WJI की यह बैठक न केवल पत्रकार समुदाय के लिए एकजुटता और सशक्तिकरण का मंच बनी, बल्कि इसने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सुदृढ़ करने के लिए ठोस प्रयास जरूरी हैं।

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