Shangri-La Dialogue 2025: सिंगापुर में CDS जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को दी सख्त चेतावनी, कहा – आतंकवाद के खिलाफ खींच दी नई रेखा

Shangri-La Dialogue 2025: सिंगापुर में CDS जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को दी सख्त चेतावनी, कहा – आतंकवाद के खिलाफ खींच दी नई रेखा
सिंगापुर में आयोजित हुए प्रतिष्ठित शांगरी-ला डायलॉग 2025 में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर लताड़ा। इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर जनरल चौहान ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत अब आतंकवाद को सहन नहीं करेगा और इस खतरे से निपटने के लिए एक नई परिभाषा तय कर दी गई है।
CDS चौहान ने अपने संबोधन में भारत द्वारा हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी उल्लेख किया और इसे आतंक के खिलाफ एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने दो टूक कहा, “हमने आतंकवाद के खिलाफ एक नई लाइन खींच दी है। हमारे इस ऑपरेशन से विरोधियों को सबक लेना चाहिए।” जनरल चौहान के इस बयान को आतंक के समर्थन में खड़े देशों, खासकर पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि इस डायलॉग में पाकिस्तान के चेयरमैन ऑफ जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा भी मौजूद थे। उन्होंने अपने वक्तव्य में एक बार फिर जम्मू-कश्मीर का राग अलापा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की। लेकिन जनरल चौहान ने बिना किसी लागलपेट के जवाब देते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रति उसकी भूमिका पर चेतावनी दी।
CDS ने यह भी कहा कि भारत की रक्षा नीति अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक और आक्रामक रुख अपनाने के लिए तैयार है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि आतंकवाद के स्रोतों को भी खत्म करने की दिशा में कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
शांगरी-ला डायलॉग जैसे वैश्विक मंच पर भारत की ओर से इस तरह की स्पष्ट और कड़ी भाषा का इस्तेमाल यह दिखाता है कि देश अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने बिना झिझक के अपनी सुरक्षा नीति और रणनीतिक दृष्टिकोण रख रहा है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद में फिर से तेजी देखी जा रही है और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनरल चौहान के इस बयान को न सिर्फ भारत की सख्त नीति का संकेत माना जा रहा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अब भारत आतंकी कार्रवाईयों का जवाब केवल कूटनीतिक भाषा में नहीं, बल्कि ठोस सैन्य कदमों के माध्यम से भी देगा।