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Stock Market Crash: ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट, निवेशकों के 19 लाख करोड़ रुपये स्वाहा

Stock Market Crash: ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी से भारतीय शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट, निवेशकों के 19 लाख करोड़ रुपये स्वाहा

नई दिल्ली, 7 अप्रैल — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति ने वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मचा दी है, जिसका गहरा असर सोमवार सुबह भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। सप्ताह की शुरुआत होते ही शेयर बाजार धराशायी हो गया। निवेशकों के लिए यह दिन किसी बड़े झटके से कम नहीं रहा क्योंकि मात्र शुरुआती घंटों में ही 19 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की दौलत बाजार से मिट गई।

प्री-ओपन ट्रेडिंग में ही सेंसेक्स 3,900 से अधिक अंकों की भारी गिरावट के साथ 71,449 के करीब पहुंच गया, जबकि निफ्टी 1,100 से अधिक अंक टूटकर 21,758 के नीचे फिसल गया। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही 5% से ज्यादा की गिरावट के साथ खुले, जो 4 जून 2024 के बाद सबसे बड़ी गिरावट रही। तब लोकसभा चुनाव के नतीजों से जुड़ी अनिश्चितता के चलते बाजार में 8% से अधिक की गिरावट आई थी।

सुबह 9:35 बजे तक सेंसेक्स 2,381 अंक या 3.12% गिरकर 73,010 और निफ्टी 816 अंक या 3.56% गिरकर 22,088 पर पहुंच गया। कुछ ही देर बाद यानी 9:15 बजे, सेंसेक्स 2,639 अंक या 3.50% की गिरावट के साथ 72,724 पर और निफ्टी 869 अंक या 3.79% की गिरावट के साथ 22,035 पर कारोबार कर रहा था।

इस गिरावट का असर कंपनियों के बाजार पूंजीकरण पर भी साफ नजर आया। बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों के मार्केट कैप में एक ही दिन में 16.19 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आ गई, जबकि एनएसई की कंपनियों के मार्केट कैप में करीब 20 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

बाजार की इस गिरावट में आईटी और मेटल सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हुए। दोनों इंडेक्स में 7% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 6-6% की भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स की सभी 30 कंपनियों के शेयर नुकसान में रहे। टाटा स्टील का शेयर 8% और टाटा मोटर्स का शेयर 7% तक टूटा। इसके अलावा एचसीएल टेक, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, लार्सन एंड टूब्रो, टीसीएस और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर भी बुरी तरह गिरे।

गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति है। ट्रंप ने टैरिफ को ‘दवा’ बताते हुए कहा कि बाजार में गिरावट की उन्हें कोई परवाह नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जब चीजें बिगड़ती हैं, तो उन्हें सुधारने के लिए दवा जरूरी होती है। उनके इस बयान ने निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी है। इसके असर से पहले जापान, हॉन्गकॉन्ग और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजारों में भी बड़ी गिरावट देखी गई थी।

इसके अलावा जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट ने मंदी की चिंता और बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की संभावना अब 60% तक पहुंच गई है। वहीं, भारत में भी निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आज से शुरू हो रही बैठक पर नजरें गड़ाए हुए हैं। दरअसल, इस बैठक में ब्याज दरों को लेकर फैसले की उम्मीद है, जो बाजार की दिशा को और प्रभावित कर सकता है।

गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को भी शेयर बाजार कमजोरी के साथ बंद हुआ था। सेंसेक्स 930 अंक टूटकर 75,364 और निफ्टी 345 अंक गिरकर 22,904 पर बंद हुआ था। पिछले सप्ताह सेंसेक्स में 2,050 अंक यानी 2.64% और निफ्टी में 614 अंक यानी 2.61% की गिरावट दर्ज की गई थी। शीर्ष 10 में से नौ कंपनियों के मार्केट कैप में कुल मिलाकर 2.94 लाख करोड़ रुपये की कमी आई थी।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भी बाजार पर दबाव बनाया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की थी। ऐसे में यह साफ है कि बाजार अभी वैश्विक अनिश्चितताओं और नीतिगत जोखिमों की गिरफ्त में है।

इस ऐतिहासिक गिरावट से निवेशकों में भय और अनिश्चितता का माहौल गहरा गया है। यदि वैश्विक हालात और घरेलू संकेतक जल्द स्थिर नहीं होते, तो आने वाले दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

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