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Iran Israel War: ईरान-इस्राइल संघर्ष और भड़का, 224 की मौत, सरकारी ठिकानों पर भारी हमला

Iran Israel War: ईरान-इस्राइल संघर्ष और भड़का, 224 की मौत, सरकारी ठिकानों पर भारी हमला

तेहरान/जेरूसलम: पश्चिम एशिया एक बार फिर भीषण संघर्ष की चपेट में है। इस्राइल और ईरान के बीच जारी टकराव अब एक पूर्ण युद्ध का रूप लेता जा रहा है। रविवार को इस्राइल ने ईरान पर भीषण हवाई हमला किया, जिसमें तेहरान स्थित विदेश मंत्रालय, सैन्य मुख्यालय, और शाहरान स्थित एक बड़े तेल डिपो को निशाना बनाया गया। इन हमलों में अब तक ईरान में 224 लोगों की मौत और 1277 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। वहीं, वॉशिंगटन स्थित एक मानवाधिकार संगठन का दावा है कि यह संख्या 400 से अधिक मृतकों और 650 से अधिक घायलों तक पहुंच चुकी है।

इस्राइल के हमले का ईरान ने करारा जवाब दिया है। ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने शुक्रवार से लेकर अब तक इस्राइल की ओर 270 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। इनमें से लगभग 22 मिसाइलें इस्राइल की मिसाइल रोधी प्रणाली “आयरन डोम” से बचकर सीधे रिहायशी इलाकों में गिरीं, जिससे 14 लोगों की मौत और 390 घायल हो गए हैं। मृतकों में दो मासूम बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 10 और 9 साल थी।

तेहरान में हमलों के बाद हालात बेहद तनावपूर्ण हैं। राजधानी की कई सड़कों को बंद कर दिया गया है, वहीं तेल और गैस स्टेशनों पर लंबी कतारें देखी जा रही हैं। सरकार ने दावा किया है कि तेल की कोई कमी नहीं है, लेकिन नागरिकों में भय का माहौल है। ईरान ने अपनी कई मस्जिदों और मेट्रो स्टेशनों को बम शेल्टर में बदल दिया है।

इस्राइल ने जिन ठिकानों को निशाना बनाया, उनमें ईरान के विदेश मंत्रालय, सैन्य मुख्यालय, मिसाइल लॉन्च साइट्स, एयर डिफेंस फैक्ट्रियां और तेल रिफाइनरियां शामिल हैं। रिपोर्टों के अनुसार, हमले में ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारी, जिनमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के खुफिया विभाग के प्रमुख जनरल मोहम्मद काजमी शामिल हैं, मारे गए हैं।

इस्राइल की ओर से अयातुल्ला अली खामेनेई को भी निशाना बनाने की योजना की खबरें आई थीं, जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट रूप से खारिज किया है। इस बयान ने संकेत दे दिए हैं कि अमेरिका ईरान के सर्वोच्च नेतृत्व को निशाना बनाने की नीति का समर्थन नहीं करता।

इस बीच, ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते को लेकर ओमान में होने वाली बैठक को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। इस्राइल के हमलों के बाद ईरान ने यह निर्णय लिया है, जिससे क्षेत्रीय कूटनीति को भी झटका लगा है।

इस संघर्ष ने न सिर्फ पश्चिम एशिया को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में भी उथल-पुथल मचाई है। शाहरान तेल डिपो और हाइफा शहर की तेल रिफाइनरी पर हमलों के बाद तेल की कीमतों में तेजी आने की आशंका जताई जा रही है।

जैसे-जैसे दोनों देशों के बीच हमलों की तीव्रता बढ़ती जा रही है, यह लड़ाई एक लंबे और विनाशकारी युद्ध की ओर बढ़ती नजर आ रही है। दोनों ही देश अब पूर्ण सैन्य मोर्चे की तैयारी कर चुके हैं और इस टकराव का वैश्विक प्रभाव गहराने की संभावना है।


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