दिल्ली में सार्वजनिक शौचालयों की बदहाली पर हाई कोर्ट की फटकार, देवेन्द्र यादव बोले – स्वच्छ भारत अभियान पूरी तरह विफल

Delhi: स्वच्छ भारत अभियान की असफलता का प्रतीक बनी दिल्ली: सार्वजनिक शौचालयों की बदहाली पर बोले कांग्रेस नेता देवेन्द्र यादव
नई दिल्ली, 4 जुलाई 2025 दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने शुक्रवार को राजधानी में सार्वजनिक शौचालयों की बदतर स्थिति को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा की गई सख्त टिप्पणी इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुप्रचारित स्वच्छ भारत अभियान धरातल पर पूरी तरह विफल हो चुका है।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली, जो देश की राजधानी है, उसे आज तक खुले में शौच मुक्त (ODF) घोषित नहीं किया जा सका है। यह न केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बल्कि आम आदमी पार्टी (AAP) की पूर्ववर्ती सरकारों की भीषण असफलता है। उन्होंने सवाल किया कि जब दिल्ली जैसे महानगर में स्वच्छता व्यवस्था चरमराई हुई है, तो देश के अन्य शहरों और गांवों की स्थिति का अनुमान सहज लगाया जा सकता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की तथाकथित ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ — जिसमें मुख्यमंत्री, मेयर और मंत्री शामिल हैं — जनहित के कार्यों के बजाय केवल प्रचार और फोटो सेशन में लगी हुई है। इसका नतीजा यह है कि दिल्ली उच्च न्यायालय को खुद राजधानी में सार्वजनिक शौचालयों की दुर्दशा पर संज्ञान लेना पड़ा और दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम तथा दिल्ली विकास प्राधिकरण को फटकार लगानी पड़ी।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि सरकारें पिछले 11 वर्षों से स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर जनता से करोड़ों रुपये टैक्स के रूप में वसूल रही हैं, लेकिन परिणाम शून्य हैं। दिल्ली के अधिकतर सार्वजनिक शौचालयों की हालत अत्यंत दयनीय है, जिनमें साफ-सफाई, पानी और रोशनी की व्यवस्था नहीं है। महिलाओं के लिए ये स्थिति और भी असहज और अपमानजनक है।
उन्होंने खासतौर पर दिल्ली के प्रमुख वाणिज्यिक क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि चांदनी चौक, पहाड़गंज, नेहरू प्लेस, आजाद मार्केट, जनकपुरी, तिलक नगर और राजौरी गार्डन जैसे इलाकों में शौचालयों की हालत बेहद खराब है, जबकि ये बाजार हर साल करोड़ों रुपये टैक्स के रूप में सरकार को देते हैं। उन्होंने पहाड़गंज क्षेत्र के संगत राशन बाजार, अनाज मंडी और जनरल मार्केट के शौचालयों की स्थिति को राजधानी की निकाय व्यवस्था की असलियत बताने वाला उदाहरण बताया।
देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली में न केवल शौचालयों की हालत खराब है, बल्कि सफाई व्यवस्था, कूड़ा निपटान प्रणाली, जलभराव और जल-संकट जैसी समस्याएं विकराल रूप धारण कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जब उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़े, तो यह संकेत है कि स्थिति बेहद संवेदनशील है और तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम पूरी तरह भ्रष्टाचार में लिप्त है और सफाई व्यवस्था के हर स्तर पर विफल साबित हुई है। राजधानी में प्रभावी कचरा प्रबंधन प्रणाली की स्थापना में एजेंसियां लगातार असफल हो रही हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी सीधा निशाना साधते हुए कहा कि 2 अक्टूबर 2014 को जिस स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत बड़े उत्साह और प्रचार के साथ की गई थी, वह 11 साल बाद भी केवल नारों तक सीमित रह गया है। देश के कई गांवों को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है, लेकिन राजधानी दिल्ली अभी भी उस सूची से बाहर है, यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है।
अंत में, देवेन्द्र यादव ने मांग की कि दिल्ली सरकार, नगर निगम और केंद्र सरकार मिलकर तुरंत इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाएं, जनसंवेदनशीलता दिखाएं और राजधानी को वास्तव में एक साफ, सुरक्षित और स्वस्थ शहर बनाने की दिशा में गंभीरता से काम करें।