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Azam Khan Release: UP के सीतापुर में दोनों बेटे लेने पहुंचे; कार्यकर्ताओं की 25 गाड़ियों का चालान कटा

Azam Khan Release: UP के सीतापुर में दोनों बेटे लेने पहुंचे; कार्यकर्ताओं की 25 गाड़ियों का चालान कटा

सपा नेता आजम खान 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा हो गए। सुबह 9 बजे रिहाई होनी थी, लेकिन कागजी कार्रवाई में देरी और जुर्माने की रकम जमा करने में अड़चन के चलते उन्हें दोपहर 12:30 बजे रिहा किया गया। जेल से बाहर आते ही उन्होंने हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन किया। उन्हें लेने दोनों बेटे अदीब और अब्दुल्ला पहुंचे थे। अदीब ने कहा कि आज के हीरो आजम साहब हैं।

आजम खान की रिहाई के मौके पर मुरादाबाद सांसद रुचि वीरा और 200 से ज्यादा कार्यकर्ता जेल के बाहर मौजूद थे। हालांकि, पुलिस ने धारा-144 का हवाला देकर समर्थकों को जेल से दूर कर दिया और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की। पुलिस ने नो पार्किंग में खड़ी 25 गाड़ियों का चालान भी काटा।

रिहाई में देरी का कारण यह था कि रामपुर कोर्ट ने एक पुराने मामले में 6 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। यह राशि जमा न होने के कारण प्रक्रिया अटक गई थी। सुबह 10 बजे कोर्ट खुलने पर एक रिश्तेदार ने तुरंत जुर्माना जमा किया और ई-मेल के जरिए सीतापुर जेल को सूचना भेजी गई। इसके बाद आजम खान की रिहाई संभव हो पाई।

आजम खान की गिरफ्तारी फरवरी 2020 में हुई थी। सबसे पहले उन्हें रामपुर जेल भेजा गया, लेकिन बाद में सुरक्षा कारणों से सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया। मई 2022 में वह जमानत पर बाहर आए थे, मगर 18 अक्टूबर 2023 को सजा सुनाए जाने के बाद उन्होंने सरेंडर किया और फिर से जेल भेजे गए। कुल मिलाकर उनके खिलाफ 104 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 93 केवल रामपुर में हैं। कई मामलों में उन्हें सजा हुई, जबकि कुछ में बरी कर दिया गया। अब सभी मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है।

रिहाई के मौके पर जेल के बाहर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई। करीब 100 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। इस दौरान सपा सांसद रुचि वीरा की पुलिस से बहस भी हुई, जब उनकी गाड़ी को जेल के पास जाने से रोका गया। पुलिस ने उन्हें दूसरे रास्ते से जाने को कहा।

सपा नेता शिवपाल यादव ने आजम की रिहाई पर कहा कि सरकार ने उन्हें गलत सजा दी थी, लेकिन कोर्ट ने न्याय किया है। उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।

आजम खान की रिहाई के साथ ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। उनका कहना है कि यह फैसला न्याय और लोकतंत्र की जीत है।

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