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Meerut Accident: मेरठ में दर्दनाक हादसा, बैल बेकाबू, महिला बैलगाड़ी और दीवार के बीच फंसी, वीडियो वायरल

Meerut Accident: मेरठ में दर्दनाक हादसा, बैल बेकाबू, महिला बैलगाड़ी और दीवार के बीच फंसी, वीडियो वायरल

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक हृदयविदारक हादसा सामने आया है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. यह घटना रोहटा थाना क्षेत्र के किनौनी गांव की है, जहां 55 वर्षीय कमलेश नाम की महिला की जान एक पल की लापरवाही और बैल के अचानक बेकाबू होने के चलते खतरे में पड़ गई. घटना ने पूरे गांव और आसपास के क्षेत्रों में शोक और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है.

जानकारी के अनुसार, कमलेश अपने खेतों में गन्ने की छिलाई का काम पूरा करने के बाद बैलगाड़ी के साथ-साथ पैदल ही घर लौट रही थीं. गांव के अंदर प्रवेश करते ही CCTV कैमरों में कैद हुई फुटेज में दिखाई देता है कि बैल अचानक घबरा गया और तेज रफ्तार से एक ओर झटकते हुए भागने लगा. कमलेश ने साहस दिखाते हुए बैल को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश उनका यह प्रयास उनके लिए खतरनाक साबित हो गया.

भागते हुए बैल ने बैलगाड़ी को इतनी तेजी से मोड़ा कि कमलेश बैलगाड़ी और दीवार के बीच बुरी तरह फंस गईं. टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि आसपास मौजूद लोग चीख उठे. कुछ ही क्षणों में परिवार और गांव के लोग मौके पर पहुंचे, लेकिन वीडियो के अनुसार, घटना इतनी अचानक हुई कि किसी को प्रतिक्रिया का समय ही नहीं मिला.

गांववालों ने तुरंत महिला को बाहर निकाल अस्पताल पहुंचाया. स्थानीय लोगों का कहना है कि बैल अचानक तेज आवाज या किसी छाया से डर गया होगा, जिसके कारण वह बेकाबू हो गया. ग्रामीणों ने बताया कि कमलेश गांव में शांत स्वभाव और मेहनती महिला के रूप में जानी जाती हैं, और इस घटना ने पूरे समुदाय को झकझोर दिया है.

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो को देखकर लोग हैरान हैं और पशुओं को संभालने में सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं. कई लोग प्रशासन से ग्रामीण इलाकों में पशु सुरक्षा और नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाने की मांग भी कर रहे हैं.

घटना के बाद परिवार और ग्रामीण सदमे की स्थिति में हैं. पुलिस ने भी CCTV फुटेज के आधार पर घटनाक्रम की पुष्टि की है और बताया कि यह एक पूरी तरह से आकस्मिक हादसा प्रतीत होता है. हालांकि, बैलगाड़ी चलाने और पशु नियंत्रण से जुड़े सुरक्षा मानकों पर सवाल एक बार फिर खड़े हो गए हैं.

यह हादसा न सिर्फ एक परिवार के लिए दुखद क्षण बन गया, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक परिवहन साधनों की सीमाओं और उनसे जुड़े खतरों पर नई बहस छेड़ गया है.

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