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UP Crime: गोरखपुर की मां की लाश को बेटे ने कहा– ‘शादी है, 4 दिन फ्रीजर में रखो’; जौनपुर से गोरखपुर तक शव की अमानवीय दुर्गति का दर्दनाक सच

UP Crime: गोरखपुर की मां की लाश को बेटे ने कहा– ‘शादी है, 4 दिन फ्रीजर में रखो’; जौनपुर से गोरखपुर तक शव की अमानवीय दुर्गति का दर्दनाक सच

जौनपुर के एक वृद्धाश्रम में गोरखपुर की निवासी शोभा देवी की बीमारी से मौत हुई तो मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली कहानी सामने आ गई। वृद्धाश्रम प्रबंधन ने जैसे ही उनके परिवार को सूचना दी, बेटे ने कहा—“अभी घर में शादी है, मां की लाश घर आई तो अपशगुन होगा… 4 दिन डीप फ्रीजर में रख दो, शादी के बाद ले जाऊंगा।” यह सुनकर वृद्धाश्रम में मौजूद लोग सन्न रह गए।
शोभा देवी और उनके पति भुआल गुप्ता पिछले एक साल से घर से दूर थे। भुआल गुप्ता गोरखपुर के रहने वाले और पेशे से किराना व्यापारी हैं। पारिवारिक विवाद के चलते बड़े बेटे ने उन्हें घर से निकाल दिया था। घर छोड़ने के बाद वे अवसाद में राजघाट जाकर आत्महत्या करने पहुंचे, लेकिन लोगों ने उन्हें समझाया और अयोध्या या मथुरा जाने की सलाह दी। अयोध्या में रहने की व्यवस्था न होने पर दंपति मथुरा पहुंचे, जहां कुछ लोगों ने उन्हें जौनपुर के वृद्धाश्रम का पता दिया।
वृद्धाश्रम संचालक रवि कुमार चौबे ने दंपति को सहारा दिया। इसी दौरान कुछ महीने पहले शोभा देवी की पैर की बीमारी बढ़ी और इलाज चलता रहा। लेकिन 19 नवंबर को उनकी हालत बिगड़ी और उपचार के दौरान मौत हो गई। भुआल गुप्ता ने छोटे बेटे को सूचना दी। छोटे बेटे ने बड़े भाई से बात कर वापस फोन किया और वही अमानवीय बात कही—“चार दिन के लिए डीप फ्रीजर में रख दो… अभी नहीं ला सकते।”
आश्रयगृह संचालक रवि चौबे ने भी बेटे से बात की तो उसने यही बात दोहराई। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को जब पता चला तो वे अंतिम दर्शन करना चाहते थे। किसी तरह शव को जौनपुर से गोरखपुर ले जाया गया, लेकिन वहां भी शोभा देवी के साथ सम्मान नहीं हुआ। अंतिम संस्कार करने के बजाय शव को जमीन में दफना दिया गया। रिश्तेदारों ने भुआल गुप्ता को बताया कि “चार दिन बाद मिट्टी से निकालकर अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।” यह सुनकर वृद्ध पति टूट गए। उन्होंने कहा—“चार दिन में शरीर कीड़े खा जाएंगे… यह मेरी पत्नी की नहीं, मेरी आत्मा की बेइज्जती है।”
वृद्धाश्रम संचालक चौबे ने बताया कि माता-पिता की बात सिर्फ छोटे बेटे से होती थी, वह भी कभी-कभार हालचाल पूछने के लिए। बड़े बेटे ने न मुलाकात की और न ही कभी जिम्मेदारी निभाई। अब शादी के बहाने मां के शव तक के सम्मान को ठुकरा दिया गया।
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उस सामाजिक संवेदनहीनता का चित्र है, जहां माता-पिता जीवन भर बच्चों का भविष्य बनाते हैं, और अंत में बुजुर्ग खुद को बोझ मानकर कहीं वृद्धाश्रमों, सड़कों और अपमान के ढेर में खोजते रह जाते हैं।

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