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MP High Court : कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी से नाराज़ हाईकोर्ट, मंत्री विजय शाह पर 4 घंटे में FIR का सख्त आदेश

MP High Court : कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी से नाराज़ हाईकोर्ट, मंत्री विजय शाह पर 4 घंटे में FIR का सख्त आदेश

मध्य प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब उन्होंने भारतीय सेना की वरिष्ठ अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर एक विवादित बयान दिया। यह बयान पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद एक सभा के दौरान दिया गया, जिससे भारी विरोध हुआ। मामले की गंभीरता को देखते हुए, जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की बेंच ने सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि मंत्री विजय शाह के खिलाफ महज चार घंटे के भीतर FIR दर्ज की जाए।

विजय शाह ने बाद में सफाई दी कि उन्होंने यह बयान एक विचलित और दुखी मन से दिया था और इसके लिए वह दस बार माफी मांगने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सोफिया कुरैशी को वह अपनी सगी बहन से भी बढ़कर मानते हैं और उनके सम्मान में कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर उनके मुंह से कोई गलत बात निकल गई हो तो वह बार-बार क्षमा मांगने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनका परिवार भी मिलिट्री बैकग्राउंड से है और शहीदों का दर्द उन्होंने करीब से देखा है।

विजय शाह ने यह भी कहा कि जिस प्रकार कर्नल सोफिया कुरैशी के साथ भेदभाव हुआ—जहां धर्म, जाति पूछकर और कपड़े उतरवाकर गोली मारी गई—वह घटना किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को विचलित कर सकती है। उन्होंने दावा किया कि इस घटना का असर उनके मन और आत्मा पर पड़ा है, और इस स्थिति में यदि उनसे कोई असंवेदनशील बात निकली, तो वह इसके लिए पूरी तरह शर्मिंदा हैं।

कर्नल सोफिया कुरैशी कोई आम अधिकारी नहीं हैं। वे भारतीय सेना की सिग्नल कोर में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वर्ष 2025 में, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान उनका नेतृत्व निर्णायक रहा, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया। उन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिस्री और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरे ऑपरेशन की जानकारी दी थी। इस दौरान उन्होंने आतंकी शिविरों के पक्के वीडियो सबूत भी प्रस्तुत किए, जिनमें लश्कर के गढ़ मुरीदके का भी जिक्र था।

इसके अलावा, वर्ष 2016 में सोफिया कुरैशी ने इतिहास रचा जब उन्होंने पुणे में आयोजित बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया। इस अभ्यास में 18 आसियान प्लस देशों ने भाग लिया था। उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में भी सेवाएं दीं और वर्ष 2010 से शांति अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

1999 में मात्र 17 साल की उम्र में चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर वह सेना में शामिल हुईं। उनके दादा और पिता दोनों ही सेना में रहे हैं, जिससे उन्हें राष्ट्रसेवा की प्रेरणा विरासत में मिली।

इस पूरी घटनाक्रम से साफ है कि न्यायपालिका सेना की गरिमा और महिलाओं के सम्मान को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहती। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी जांबाज अधिकारी पर सार्वजनिक रूप से की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को अदालत ने गंभीरता से लिया है। अब देखना होगा कि चार घंटे की समयसीमा में FIR दर्ज होती है या नहीं, और इस पर राज्य सरकार क्या रुख अपनाती है।

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