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Haryana Roadways Strike: हरियाणा रोडवेज की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में बड़ी भागीदारी, 9 जुलाई को बसें नहीं चलेंगी, यात्रियों को होगा भारी असर

Haryana Roadways Strike: हरियाणा रोडवेज की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में बड़ी भागीदारी, 9 जुलाई को बसें नहीं चलेंगी, यात्रियों को होगा भारी असर

हरियाणा में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था 9 जुलाई 2025 को पूरी तरह से ठप पड़ने वाली है, क्योंकि हरियाणा रोडवेज कर्मचारी संघ ने इस दिन राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है। यह फैसला हाल ही में पलवल में हुई एक अहम बैठक के दौरान लिया गया, जिसमें विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और सरकार की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया।

कर्मचारियों का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकारें उनकी वर्षों पुरानी मांगों को अनदेखा कर रही हैं। इनमें प्रमुख रूप से वेतन वृद्धि, नियमित भर्ती, पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और रोडवेज के निजीकरण का विरोध शामिल है। यूनियन नेताओं का कहना है कि अब तक केवल आश्वासन मिलते रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

बैठक में यह भी तय हुआ कि 9 जुलाई को किसी भी बस को डिपो से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा। कर्मचारियों ने इस दिन पूरे प्रदेश में चक्का जाम करने की रणनीति बनाई है। आंदोलन को पूरी ताकत के साथ सफल बनाने के लिए अलग-अलग जिलों में जनसंपर्क अभियान भी चलाया जाएगा, ताकि आम जनता को इस हड़ताल के मकसद की जानकारी दी जा सके।

हड़ताल का असर व्यापक होगा क्योंकि हरियाणा रोडवेज की बसें राज्य के अलावा दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में भी रोज़ाना हजारों यात्रियों को आवाजाही की सुविधा देती हैं। इस दिन आम जनता को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, विशेषकर उन लोगों को जो दैनिक यात्रा, स्कूल-कॉलेज या नौकरी के लिए बसों पर निर्भर हैं।

हालांकि कर्मचारी संगठनों ने यात्रियों से सहयोग की अपील की है और कहा है कि यह हड़ताल केवल कर्मचारियों के हक के लिए नहीं, बल्कि सार्वजनिक परिवहन की सुरक्षा के लिए भी है। उनका मानना है कि यदि रोडवेज का निजीकरण होता है तो न सिर्फ कर्मचारियों की नौकरी खतरे में आएगी, बल्कि यात्रियों को भी महंगे किराए और घटती सेवाओं का सामना करना पड़ेगा।

सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन हड़ताल को टालने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश कर सकता है। हालांकि कर्मचारी नेता अब किसी भी समझौते के मूड में नहीं हैं और साफ कह चुके हैं कि जब तक उनकी मांगे मानी नहीं जातीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

यह हड़ताल हरियाणा में सार्वजनिक परिवहन और प्रशासन के बीच टकराव के एक नए दौर की शुरुआत बन सकती है। देखना होगा कि सरकार क्या रुख अपनाती है और क्या यह हड़ताल राज्य में जनजीवन को पूरी तरह से प्रभावित करेगी।

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