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PM Modi Trinidad Speech: त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद में प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक संबोधन, प्रवासी भारतीयों की विरासत पर जताया गर्व

PM Modi Trinidad Speech: त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद में प्रधानमंत्री मोदी का ऐतिहासिक संबोधन, प्रवासी भारतीयों की विरासत पर जताया गर्व

त्रिनिदाद एवं टोबैगो, 4 जुलाई 2025 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर इतिहास रच दिया। वे इस “रेड हाउस” कहे जाने वाले प्रतिष्ठित संसद भवन में बोलने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए। अपने प्रेरणादायक और ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच साझा विरासत, लोकतंत्र और प्रवासी संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि वे उस संसद को संबोधित कर रहे हैं, जिसने त्रिनिदाद और टोबैगो की स्वतंत्रता, संघर्ष और सम्मान की यात्रा देखी है। उन्होंने कहा, “यह ऐतिहासिक लाल इमारत गवाह रही है उस जुनून और बलिदान की, जिसने एक गुलाम देश को एक सशक्त लोकतंत्र में बदला।”

अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के औपनिवेशिक अतीत की चर्चा करते हुए कहा कि भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो ने उपनिवेशवाद की छाया से निकलकर लोकतंत्र की रोशनी में अपनी-अपनी सफल कहानियाँ लिखी हैं। उन्होंने कहा, “हमारे लिए लोकतंत्र केवल एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने की शैली है। यह हमारी हजारों वर्षों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की लोकतांत्रिक चेतना, सांस्कृतिक विविधता और महिला नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने वहां की जनता की जीवंतता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण को भारत जैसी लोकतांत्रिक शक्तियों से जोड़ते हुए इसे वैश्विक लोकतांत्रिक आदर्श बताया।

भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की गौरवशाली विरासत पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “बिहार भारत ही नहीं, विश्व की भी धरोहर है। यह लोकतंत्र, राजनीति और कूटनीति की जन्मस्थली रहा है। प्राचीन भारत के महाजनपदों से लेकर आज के आधुनिक भारत तक, बिहार ने विश्व को मार्गदर्शन दिया है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद में कई सदस्य ऐसे हैं, जिनकी जड़ें बिहार में हैं, और यह प्रवासी संबंधों की जीवंत मिसाल है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर विशेष बल दिया कि 21वीं सदी में भी बिहार से नए विचार, नए अवसर और नई संभावनाएं निकलेंगी जो भारत और प्रवासी दुनिया को जोड़ने में अहम भूमिका निभाएंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण सिर्फ एक राजनयिक संबोधन नहीं था, बल्कि यह भारतीय मूल के लाखों लोगों के लिए सम्मान और आत्मगौरव का क्षण था। उन्होंने प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों और उनके योगदान को नमन करते हुए कहा कि भारत अपने प्रत्येक प्रवासी को अपने परिवार का अभिन्न हिस्सा मानता है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर दोनों देशों के नेताओं ने एक-दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने और वैश्विक मंचों पर एकजुट होकर कार्य करने के संकल्प को दोहराया।

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