CMJ University Scam: धन कुबेर निकला यूनिवर्सिटी चांसलर: ईडी ने कुर्क की 20.28 करोड़ की संपत्ति, डिग्री बेचकर कमाए करोड़ों

CMJ University Scam: धन कुबेर निकला यूनिवर्सिटी चांसलर: ईडी ने कुर्क की 20.28 करोड़ की संपत्ति, डिग्री बेचकर कमाए करोड़ों
शिलॉन्ग की एक निजी यूनिवर्सिटी के चांसलर चंद्रमोहन झा शिक्षा के नाम पर फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े खेल में फंस गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत झा और उनके परिवार की 20.28 करोड़ रुपये की संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर ली हैं। इन संपत्तियों में नई दिल्ली की चार अचल संपत्तियां (कुल मूल्य 19.28 करोड़) और बैंक खातों में जमा एक करोड़ रुपये शामिल हैं। यह कार्रवाई उस जांच का हिस्सा है जिसमें सीएमजे यूनिवर्सिटी पर फर्जी डिग्री बेचने, धोखाधड़ी से संपत्ति अर्जित करने और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं।
ईडी के अनुसार, शिलॉन्ग स्थित उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने 3 जुलाई को आदेश जारी कर संपत्ति कुर्क की थी। इन संपत्तियों को वर्ष 2013 से 2022 के बीच खरीदा गया। जांच में यह भी सामने आया कि परिवार ने एक बैंक खाते में जमा राशि को छिपाने के लिए उसे धोखे से एक अन्य सदस्य के नाम पर 16 दिसंबर 2024 को ट्रांसफर कर दिया था।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब मेघालय के पूर्व राज्यपाल आरएस मूशाहरी, जो सीएमजे यूनिवर्सिटी के विजिटर भी थे, ने IAS अधिकारी एमएस राव के माध्यम से सीआईडी को शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद सीआईडी द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। यूनिवर्सिटी पर न केवल फर्जी डिग्रियां बेचने, बल्कि 2010 से 2013 के बीच 20,570 से ज्यादा नकली डिग्रियां जारी करने का आरोप है। इससे झा और अन्य हितधारकों ने लगभग 83 करोड़ रुपये की आपराधिक आय अर्जित की।
ईडी की कार्रवाई नई नहीं है। इससे पहले भी 2017, 2021 और जुलाई 2024 में कुल 48.76 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त किया जा चुका है। वहीं दिसंबर 2024 में तीन दिनों तक चली तलाशी के दौरान 1.15 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस भी जब्त किया गया था। इन छापों में ईडी को चांसलर झा की संपत्तियों, उनके खरीद के पैटर्न और अवैध धन के स्रोतों के कई पुख्ता प्रमाण मिले।
सीएमजे यूनिवर्सिटी की मान्यता पहले ही सवालों के घेरे में थी, लेकिन इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इसे “कुप्रबंधन, अनुशासनहीनता और धोखाधड़ी के इरादे” का मामला मानते हुए भंग करने का आदेश दे दिया। कोर्ट के आदेश के बाद मेघालय सरकार ने शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डी. लिंगदोह को प्रशासक नियुक्त कर यूनिवर्सिटी को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
चांसलर चंद्रमोहन झा पर लगे गंभीर आरोप यह दिखाते हैं कि किस तरह शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र का इस्तेमाल आर्थिक अपराधों के लिए किया जा रहा है। मामला न केवल मेघालय बल्कि पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था और निगरानी संस्थाओं के लिए एक चेतावनी है। जांच जारी है और आने वाले समय में झा और उनके सहयोगियों पर कानूनी शिकंजा और कस सकता है।