Ankita Bhandari Murder Case: अंकिता भंडारी मर्डर केस: दो साल की लड़ाई के बाद आज आ सकता है इंसाफ

Ankita Bhandari Murder Case: अंकिता भंडारी मर्डर केस: दो साल की लड़ाई के बाद आज आ सकता है इंसाफ
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आज कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत अंतिम सुनवाई के बाद फैसला सुनाने जा रही है। यह वही केस है, जिसने सितंबर 2022 में पूरे देश को झकझोर दिया था, जब एक युवा महिला कर्मचारी की लाश एक नहर से बरामद हुई थी और मामले से एक रिजॉर्ट मालिक समेत वीआईपी नामों का कनेक्शन सामने आया था। दो साल के लंबे इंतजार और कानूनी प्रक्रिया के बाद अब पीड़िता के परिजन और जनता को न्याय की उम्मीद है।
यह मामला 18 सितंबर 2022 से शुरू होता है, जब 19 वर्षीय अंकिता भंडारी रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाती है। वह ऋषिकेश के पास यमकेश्वर क्षेत्र स्थित एक निजी रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थी। यह रिजॉर्ट पुलकित आर्य नामक व्यक्ति का था, जो तत्कालीन बीजेपी नेता और राज्य के प्रभावशाली लोगों से जुड़ा बताया गया। लापता होने के पांच दिन बाद, अंकिता की लाश एक नहर से बरामद होती है। प्रारंभिक जांच से पता चला कि अंकिता पर ग्राहकों को “स्पेशल सर्विस” देने का दबाव बनाया जा रहा था, जिसका उसने विरोध किया और उसी के चलते उसकी हत्या कर दी गई।
इस घटना से पूरे उत्तराखंड में गुस्से की लहर दौड़ गई। जनता सड़कों पर उतर आई, सोशल मीडिया पर मामले को लेकर आक्रोश फूट पड़ा और प्रशासन पर तीखा दबाव बना। इस जनदबाव के बाद सरकार ने रिजॉर्ट को बुलडोज़ कर ध्वस्त कर दिया और केस की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई।
SIT ने अपनी विस्तृत जांच के बाद 500 पेज की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। इसमें कुल 97 गवाहों को नामित किया गया, जिनमें से 47 गवाहों को अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में प्रस्तुत किया। चार्जशीट में पुलकित आर्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 201 (सबूत मिटाना), 354A (छेड़छाड़) और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए। वहीं, उसके दो साथी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर हत्या और अपराध में सहयोग का आरोप लगाया गया।
पूरा मामला एक सामाजिक विमर्श बन गया, जहाँ एक ओर महिलाओं की सुरक्षा, न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता और वीआईपी कल्चर पर सवाल खड़े हुए, वहीं दूसरी ओर न्याय के लिए जनसंकल्प की शक्ति देखने को मिली। अंकिता के माता-पिता ने शुरू से ही मामले में कड़ी सजा की मांग की और कहा कि जब तक दोषियों को फांसी नहीं होती, तब तक उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी।
आज 30 मई 2025 को कोटद्वार कोर्ट में सुबह 10:30 बजे सुनवाई शुरू होगी, जहां पूरे देश की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं। यह मामला न्यायपालिका की पारदर्शिता, जांच एजेंसियों की कार्यशैली और जनता की आवाज़ की ताकत का प्रतीक बन गया है। अब देखना होगा कि दो साल की इस कानूनी लड़ाई का अंजाम क्या होता है—क्या अंकिता को इंसाफ मिलेगा या फिर न्याय की राह अभी और लंबी है?