दिल्ली-एनसीआर

Human Trafficking Racket: दिल्ली पुलिस ने मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया; 4 गिरफ्तार, 3 नाबालिग छुड़ाए

Human Trafficking Racket: दिल्ली पुलिस ने मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया; 4 गिरफ्तार, 3 नाबालिग छुड़ाए

दिल्ली पुलिस ने एक बड़े मानव तस्करी रैकेट का पर्दाफाश करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है और तीन नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया है। यह गिरोह दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर कमजोर और असहाय नाबालिगों तथा मजदूरों को निशाना बनाता था और उन्हें जबरन जम्मू-कश्मीर ले जाकर घरेलू काम और बंधुआ मजदूरी करवाता था। पुलिस की इस कार्रवाई ने तस्करी के उस नेटवर्क का खुलासा किया है जो कई राज्यों में फैला हुआ था।

डीसीपी हरेश्वर स्वामी ने जानकारी दी कि इस गिरोह में दलालों और प्लेसमेंट एजेंटों का एक संगठित नेटवर्क शामिल था। वे गरीब मजदूरों और नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर या दबाव डालकर ले जाते और बाद में उन्हें अमीर घरों और मजदूरी के कार्यों में बिना वेतन के झोंक दिया जाता था। स्वामी ने बताया कि यह रैकेट हर पुरुष पीड़ित से 20,000 से 25,000 रुपये और महिलाओं से 40,000 से 60,000 रुपये वसूलता था।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गंदेरबल (जम्मू-कश्मीर) निवासी सलीम-उल-रहमान उर्फ वसीम (38), बेगमपुर (दिल्ली) निवासी सूरज (31), रामपुर (उत्तर प्रदेश) निवासी मोहम्मद तालिब और बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) निवासी सतनाम सिंह उर्फ सरदार जी के रूप में हुई है। इनमें से सलीम इस पूरे नेटवर्क का मुख्य सरगना बताया जा रहा है, जिसने पिछले दो सालों में कई लड़कियों और मजदूरों की तस्करी की और भारी रकम वसूली।

पुलिस को इस रैकेट की भनक भलस्वा डेयरी थाने में दर्ज एक अपहरण शिकायत के बाद लगी। दो नाबालिग लड़कियों (उम्र 13 और 15 वर्ष) के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके बाद पुलिस ने तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर दोनों लड़कियों का पता लगाया। वे श्रीनगर में पाई गईं और 15 जून को पुलिस टीम ने उन्हें सुरक्षित छुड़ाकर दिल्ली वापस लाया।

जांच के दौरान खुलासा हुआ कि आरोपी मोहम्मद तालिब के पास उत्तर प्रदेश पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर का जाली पहचान पत्र भी मिला। वह इसका इस्तेमाल गिरफ्तारी से बचने और लड़कियों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए करता था। इस आईडी कार्ड की मदद से वह खुद को पुलिसकर्मी बताकर शक से बच जाता था।

अधिकारियों ने बताया कि यह रैकेट बेहद संगठित तरीके से काम करता था और पीड़ितों को नौकरी और बेहतर जीवन का झांसा देकर फंसाता था। असलियत में उन्हें बंधुआ मजदूरी, घरेलू कामकाज और शोषण की जिंदगी में धकेल दिया जाता था। दिल्ली पुलिस का कहना है कि आगे की जांच जारी है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कितने और लोग इस नेटवर्क का हिस्सा हैं।

मानव तस्करी के इस मामले ने राजधानी समेत देशभर में ऐसे नेटवर्क्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है। पुलिस ने कहा है कि वे पीड़ितों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित करने के साथ-साथ इस नेटवर्क के बाकी आरोपियों को भी जल्द पकड़ेंगे।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button