CM Jagdish Deora: पूरा देश, सेना और सैनिक PM मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं: मध्य प्रदेश के डिप्टी CM जगदीश देवड़ा का विवादित बयान

CM Jagdish Deora: पूरा देश, सेना और सैनिक PM मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं: मध्य प्रदेश के डिप्टी CM जगदीश देवड़ा का विवादित बयान
मध्य प्रदेश के डिप्टी मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का एक बयान चर्चा में है जिसने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। जबलपुर में सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान देवड़ा ने कहा कि पूरा देश, देश की सेना और सैनिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं। यह बयान राजनीतिक विवाद का कारण बना है और विपक्ष ने इसे सेना का अपमान बताया है।
देवड़ा ने अपने भाषण में कहा कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में भारी क्रोध था। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के सामने की गई गोलीबारी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था और देश तब तक चैन की सांस नहीं लेगा जब तक इस घटना का बदला नहीं लिया जाता। उन्होंने भारतीय सेना की उस कार्रवाई की प्रशंसा की जिसमें 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया था। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी और पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
देवड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस कार्रवाई की खूब तारीफ की और कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को एक मजबूत संदेश दिया। उन्होंने कहा, “पूरे देश, सेना और सैनिक प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं।” हालांकि, इस बयान के बाद विपक्ष ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इसे सेना के सम्मान के खिलाफ करार देते हुए इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह बयान बेहद घटिया और शर्मनाक है, जो भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम का अपमान करता है। उनका कहना है कि भाजपा और जगदीश देवड़ा को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए और उन्हें पद से हटाना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान मध्य प्रदेश की सियासत में और गर्माहट बढ़ा सकता है क्योंकि वर्तमान में सेना और राष्ट्रवाद का मुद्दा बेहद संवेदनशील है। विपक्ष ने इस बयान को अवसर बनाकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला शुरू कर दिया है और इसे जनता के बीच भी एक बड़ा विवाद बनाने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच, जगदीश देवड़ा के इस बयान ने देश के विभिन्न हिस्सों में बहस छेड़ दी है कि क्या राजनीतिक नेताओं को सेना के प्रति अपनी जिम्मेदारी और सम्मान बनाए रखना चाहिए, या उनके बयान सार्वजनिक भावना को चोट पहुंचा सकते हैं।