Donald Trump Tariffs: Trump की 90 दिन की टैरिफ रोक: भारत के धैर्य ने दिलाई राहत, अमेरिका बैकफुट पर

Donald Trump Tariffs: Trump की 90 दिन की टैरिफ रोक: भारत के धैर्य ने दिलाई राहत, अमेरिका बैकफुट पर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 9 अप्रैल को अपने विवादित टैरिफ निर्णय में बड़ा बदलाव करते हुए भारत सहित 75 देशों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया। इस टैरिफ रोक के बाद इन देशों को जुलाई तक केवल 10 प्रतिशत बेसिक टैरिफ देना होगा। ट्रंप के इस फैसले से भारत को सीधी राहत मिली है, जिसने अब तक संयम का रास्ता अपनाया था और अमेरिका के खिलाफ कोई तीखी जवाबी कार्रवाई नहीं की थी। भारत की रणनीति ‘शांति और समझदारी’ अब फायदेमंद साबित होती नजर आ रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ रणनीति काफी समय से वैश्विक चिंता का विषय रही है। जब दुनिया के कई देश ट्रंप की नीतियों के खिलाफ जवाबी टैरिफ लगा रहे थे, तब भारत ने विरोध में कोई कड़ा कदम नहीं उठाया। यही संतुलन और कूटनीति अब अमेरिका की ओर से राहत का कारण बन गया। ट्रंप ने खुद यह स्वीकार किया कि जिन देशों ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ कोई प्रतिकार नहीं किया, उन्हें वह रियायत दे रहे हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “लोग थोड़ा लाइन से बाहर जा रहे थे, वे चिड़चिड़े हो रहे थे,” और संकेत दिया कि यही वजह है कि उन्हें टैरिफ में अस्थायी ढील देने की जरूरत महसूस हुई।
हालांकि यह टैरिफ स्थगन महज 90 दिनों के लिए है, लेकिन इसके पीछे अमेरिका के भीतर की आर्थिक चिंता भी एक बड़ा कारण है। 90 दिन की टैरिफ रोक की घोषणा के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में 10 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई। यह स्पष्ट करता है कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने अमेरिका के आर्थिक तंत्र पर भी दबाव डाला है। अमेरिकी बॉन्ड मार्केट, जिसे दुनिया की सबसे सुरक्षित संपत्तियों में से एक माना जाता है, टैरिफ नीति के चलते अस्थिर हो गया था। ट्रंप के इस कदम ने बाजार को राहत दी है, लेकिन यह भी जाहिर कर दिया है कि अमेरिका खुद इस नीति से परेशान हो चुका है।
ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन्होंने टैरिफ हटाए नहीं हैं, बल्कि सिर्फ स्थगित किए हैं। यानी यह 90 दिन अमेरिका को यह तय करने का मौका देगा कि आगे इन 75 देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते कैसे बनाए जाएं। ट्रंप ने मीडिया को बताया कि वह पिछले कुछ दिनों से इस फैसले पर विचार कर रहे थे। उन्होंने कहा, “हम उन देशों को चोट नहीं पहुंचाना चाहते जिन्हें चोट पहुंचाने की जरूरत नहीं है। और वे सभी बातचीत करना चाहते हैं।”
इस बीच ट्रंप की भाषा और रवैया भी सवालों के घेरे में है। टैरिफ स्थगन से एक दिन पहले ही ट्रंप ने रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी में भाषण के दौरान अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए टैरिफ प्रभावित देशों का मजाक उड़ाया था। उन्होंने कहा था कि कई देश उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं और “मेरी A** चूम रहे हैं” — यह बयान राष्ट्रपति जैसे पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अभद्र और अस्वीकार्य माना गया।
दूसरी ओर, चीन और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों की जवाबी टैरिफ नीति अब असर दिखा रही है। यूरोपीय यूनियन ने अमेरिकी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो €21 अरब के अमेरिकी सामानों पर लागू होगा। इसमें 27 में से 26 देशों ने समर्थन किया, केवल हंगरी ने मतभेद जताया। लेकिन चीन ने इस मामले में और भी आक्रामक रुख अपनाया। चीन ने अमेरिकी निर्यात पर टैरिफ को 34% से बढ़ाकर 84% कर दिया, जिसके जवाब में अमेरिका ने भी चीन पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% कर दिया।
इस टैरिफ युद्ध ने अमेरिका और चीन को एक ‘चिकन गेम’ में उलझा दिया है — दोनों में से जो पहले पीछे हटेगा, उसे कमजोर और हारा हुआ माना जाएगा। लेकिन चीन के पास एक अहम बढ़त यह है कि अमेरिका की तुलना में चीन अमेरिकी आयात पर कम निर्भर है। वहीं, अमेरिका के लिए चीनी आयात बेहद आवश्यक है। यही वजह है कि चीन के रुख को मजबूती मिल रही है।
ब्रिटिश अखबार द गार्डियन के अनुसार, पूर्वानुमान लगाने वाली संस्था एनोडो इकोनॉमिक्स की संस्थापक डायना चॉयलेवा ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए ट्रंप की धमकियों का राजनीतिक रूप से केवल एक ही जवाब हो सकता है: “हम तैयार हैं।” उनके अनुसार चीन के लिए पीछे हटना राजनीतिक रूप से अस्थिरता ला सकता है।
फिलहाल, अमेरिका के 90 दिन की टैरिफ रोक को अमेरिका की आंतरिक आर्थिक दबाव, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कुछ देशों की शांतिपूर्ण रणनीति का संयुक्त नतीजा माना जा सकता है। भारत जैसे देशों के लिए यह एक कूटनीतिक जीत की तरह है — जिसने बिना टकराव के एक बड़ी राहत हासिल कर ली है। आने वाले 90 दिन इस बात को तय करेंगे कि ट्रंप अपने ‘माइंडगेम’ को किस दिशा में ले जाते हैं और वैश्विक व्यापारिक संतुलन किस ओर झुकता है।