Nagpur violence: महिला पुलिसकर्मियों से छेड़छाड़, 50 से अधिक आरोपी हिरासत में, पुलिस और ATS कर रही जांच

Nagpur violence: महिला पुलिसकर्मियों से छेड़छाड़, 50 से अधिक आरोपी हिरासत में, पुलिस और ATS कर रही जांच
महाराष्ट्र के नागपुर में हुई हिंसा को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। प्रदर्शनकारियों ने न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया बल्कि महिला पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी और छेड़छाड़ भी की। पुलिस ने इस मामले में पांच एफआईआर दर्ज की हैं, और अब तक 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
हिंसा की शुरुआत और कारण
सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर महाराष्ट्र में राज्यव्यापी प्रदर्शन किया था। इसके जवाब में नागपुर में विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। रात होते-होते नागपुर के चिटनिस पार्क के सीए रोड पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं।
इस दौरान उपद्रवियों ने पथराव और आगजनी की, जिससे कई वाहन और दुकानों को नुकसान पहुंचा। पुलिस को हालात संभालने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
महिला पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी
प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए महिला पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था, लेकिन अराजक तत्वों ने उनके साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की।
गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, जब महिला पुलिसकर्मी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थीं, तो कुछ बदमाशों ने अंधेरे का फायदा उठाकर उनके साथ अश्लील हरकतें कीं। उन्होंने महिला पुलिसकर्मियों की वर्दी खींचने और शरीर को जबरन छूने की कोशिश की। इस मामले में कई महिला पुलिसकर्मियों ने वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस और ATS की जांच
नागपुर पुलिस ने इस हिंसा को लेकर पांच अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। पुलिस का कहना है कि हिंसा की योजना पहले से बनाई गई थी और इसे एक मस्जिद से उकसाने वाली अपील करके भड़काया गया।
अब मामले की जांच में एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वॉड) भी शामिल हो सकती है। हालांकि, अभी तक महाराष्ट्र सरकार ने आधिकारिक रूप से एटीएस को जांच के आदेश नहीं दिए हैं, लेकिन जल्द ही जांच का जिम्मा सौंपा जा सकता है। एटीएस यह जांच करेगी कि:
क्या यह हिंसा पूर्व नियोजित थी?
क्या इसमें बाहरी तत्वों का हाथ था?
पत्थरबाजी और दंगे का कोई नया पैटर्न तो नहीं अपनाया गया?
क्या भीड़ को किसी बड़े समूह या संगठन ने भड़काया?
अदालत में आरोपियों की पेशी
हिंसा में शामिल होने के आरोप में पुलिस ने 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। मंगलवार को पुलिस ने 46 आरोपियों को अदालत में पेश किया, लेकिन रात ढाई बजे तक केवल 36 आरोपियों की ही पेशी हो पाई। अदालत ने सभी आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
विहिप और बजरंग दल पर भी मामला दर्ज
इस बीच, नागपुर पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक, धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में विहिप और बजरंग दल के महाराष्ट्र-गोवा प्रभारी सचिव गोविंद शेंडे और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
हिंसा के पीछे कौन?
विहिप के धर्म प्रसार प्रमुख (विदर्भ प्रांत) राजकुमार शर्मा ने दावा किया कि यह हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसे एक मस्जिद से अपील कर भीड़ जुटाकर भड़काया गया। पुलिस अब इस दावे की भी जांच कर रही है कि मस्जिद से भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया गया था या नहीं। नागपुर हिंसा में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ पुलिस ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच में कई नई बातें सामने आ सकती हैं, जिससे पता चलेगा कि हिंसा के पीछे कौन था और इसे कैसे अंजाम दिया गया। साथ ही, महिला पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी के मामले में भी पुलिस कड़ी कार्रवाई कर रही है।