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Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ का कहर: असम सबसे अधिक प्रभावित, पीएम मोदी ने राहत कार्यों पर दिए निर्देश

Assam Flood 2025: पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ का कहर: असम सबसे अधिक प्रभावित, पीएम मोदी ने राहत कार्यों पर दिए निर्देश

पूर्वोत्तर भारत के राज्य इस समय बाढ़ और भूस्खलन की गंभीर मार झेल रहे हैं। लगातार हो रही मूसलधार बारिश के चलते जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। सबसे भयावह स्थिति असम की है, जहां मंगलवार को हालात और बिगड़ गए। राज्य में छह और लोगों की मौत की पुष्टि के साथ ही इस साल बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की कुल संख्या 17 पहुंच गई है। पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की बात करें तो अब तक कम से कम 48 लोगों की जान जा चुकी है।

राज्यों की त्रासदी के बीच केंद्र सरकार हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और प्रभावित राज्यों को हर संभव मदद का आश्वासन दे रहे हैं। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने असम के मुख्यमंत्री, सिक्किम के मुख्यमंत्री और मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से बातचीत की। उन्होंने राहत और पुनर्वास के प्रयासों में केंद्र की ओर से हर प्रकार की सहायता देने का भरोसा दिलाया।

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) की ताजा रिपोर्ट बेहद चिंताजनक है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 21 जिलों में आई बाढ़ से 6.33 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। इन जिलों के 1506 गांवों में 14,739 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है, जिससे किसानों की आजीविका पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। ब्रह्मपुत्र नदी सहित राज्य की छह अन्य प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर बनी हुई है।

पूरा क्षेत्र तबाही की चपेट में है। असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश में 12, मेघालय में 6, मिजोरम में 5, सिक्किम में 4, त्रिपुरा में 2 और नागालैंड और मणिपुर में एक-एक व्यक्ति की जान जा चुकी है। इस क्षेत्र की भौगोलिक संरचना और लगातार बारिश के कारण यहां भूस्खलन की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे सड़क संपर्क टूट गया है और राहत कार्यों में बाधा आ रही है।

प्रशासन और बचाव एजेंसियां लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी के चलते हालात नियंत्रण से बाहर होते जा रहे हैं। स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट चुका है और हजारों लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।

स्थानीय प्रशासन नावों और हेलिकॉप्टर की मदद से फंसे लोगों को निकालने में लगा हुआ है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीमें चौबीसों घंटे सक्रिय हैं, लेकिन लगातार बारिश और नदियों के उफान ने उनकी चुनौतियों को कई गुना बढ़ा दिया है।

अभी यह कहना मुश्किल है कि स्थिति कब सामान्य होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश का सिलसिला कुछ और दिनों तक जारी रह सकता है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति और भी भयावह हो सकती है। ऐसे में जरूरत है समन्वित और सशक्त राहत प्रणाली की, ताकि हजारों लोगों की जान और आजीविका को बचाया जा सके।

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