New Ashok Nagar Tragedy: कुंडली नहर में नहाने गए दो किशोर डूबे, इलाके में मातम और प्रशासन पर सवाल

New Ashok Nagar Tragedy: कुंडली नहर में नहाने गए दो किशोर डूबे, इलाके में मातम और प्रशासन पर सवाल
पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर इलाके में बुधवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना में कुंडली नहर में नहाने गए दो किशोरों की डूबने से मौत हो गई। यह हादसा न केवल दो परिवारों को गहरे शोक में डुबो गया है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर गया है।
जानकारी के अनुसार मृतक किशोरों की पहचान दल्लूपुरा निवासी 13 वर्षीय भीम और 15 वर्षीय रवि के रूप में हुई है। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी और बुधवार सुबह वे नहाने के इरादे से घर से निकले थे। कुंडली नहर में उतरते ही पानी की गहराई और तेज बहाव के चलते दोनों उसका अंदाजा नहीं लगा पाए और देखते ही देखते डूब गए।
दिल्ली बोर्ड क्लब के इंचार्ज हरीश कुमार ने बताया कि सुबह 8 बजे नहर में दो बच्चों के डूबने की सूचना मिली। इस सूचना पर रेस्क्यू टीम गोताखोरों के साथ तुरंत मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया गया। करीब तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद दोनों किशोरों के शव बाहर निकाले जा सके, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया है और आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है और पूरे इलाके में गम का माहौल बना हुआ है। इस दर्दनाक हादसे के बाद लापरवाही से मौत का मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है।
स्थानीय लोगों में इस हादसे को लेकर भारी नाराजगी देखी जा रही है। उनका आरोप है कि कुंडली नहर के आसपास कोई भी सुरक्षा घेरा नहीं है, न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं। लोगों का कहना है कि गर्मियों में बच्चों के लिए यह नहर नहाने का आकर्षण बन जाती है, लेकिन सुरक्षा की घोर अनदेखी के चलते हर साल ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। बीते कुछ वर्षों में भी यहां डूबने से कई बच्चों की जान जा चुकी है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।
अब एक बार फिर से सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक ऐसी लापरवाही मासूम जानों की कीमत लेती रहेगी। क्या प्रशासन कोई सबक लेगा या यह हादसा भी पुराने हादसों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि नहर को घेरकर वहां चेतावनी संकेत लगाए जाएं और बच्चों को इस तरह की जानलेवा गतिविधियों से बचाने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जाए।
यह हादसा न केवल दो मासूम जिंदगियों की क्षति है, बल्कि एक बार फिर हमारे सिस्टम की संवेदनहीनता और लापरवाही का आईना भी है।