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Bandra Building Collapse: मुंबई के बांद्रा में सिलेंडर ब्लास्ट से तीन मंजिला चॉल ढही, 12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, राहत अभियान जारी

Bandra Building Collapse: मुंबई के बांद्रा में सिलेंडर ब्लास्ट से तीन मंजिला चॉल ढही, 12 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, राहत अभियान जारी

मुंबई के बांद्रा इलाके में शुक्रवार सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया, जब भारत नगर क्षेत्र की एक तीन मंजिला चॉल अचानक ढह गई। शुरुआती जांच में इस भयावह हादसे की वजह सिलेंडर ब्लास्ट मानी जा रही है। हादसे के समय चॉल में कई लोग मौजूद थे और मलबे में उनके फंसे होने की आशंका जताई गई। अब तक 12 लोगों को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाला गया है, जिन्हें इलाज के लिए भाभा अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

यह हादसा तड़के करीब 5:56 बजे बांद्रा (पूर्व) के भारत नगर स्थित चॉल नंबर 37 में हुआ। चश्मदीदों के मुताबिक, एक जोरदार धमाका हुआ, जिससे इमारत का एक हिस्सा ढह गया और लोग मलबे में दब गए। मौके पर चीख-पुकार मच गई और स्थानीय लोग तुरंत राहत कार्य में जुट गए।

घटना की सूचना मिलते ही मुंबई पुलिस, दमकल विभाग और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की टीमें मौके पर पहुंचीं। आठ दमकल गाड़ियां, एक एंबुलेंस और रेस्क्यू टीमों को तैनात किया गया है। बीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। मलबे में अभी भी कुछ लोगों के दबे होने की आशंका है और उन्हें सुरक्षित निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

मुंबई पुलिस के अनुसार, अब तक मलबे से निकाले गए 12 लोगों की हालत स्थिर है और सभी का इलाज भाभा अस्पताल में चल रहा है। पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है ताकि राहत कार्य में कोई बाधा न आए। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम भी पूरी तरह सक्रिय है।

अग्निशमन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में यह सामने आया है कि चॉल के भीतर रखे गए एक गैस सिलेंडर में विस्फोट हुआ, जिससे इमारत कमजोर हो गई और उसका एक बड़ा हिस्सा गिर गया। हालांकि, पूरी घटना की सटीक जानकारी जांच पूरी होने के बाद ही मिल पाएगी।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की जर्जर चॉलों की तुरंत जांच कराई जाए और समय रहते उन्हें खाली कराया जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकें। चॉल में रह रहे लोगों का कहना है कि कई बार उन्होंने इमारत की जर्जर स्थिति को लेकर शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मुंबई में पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं, खासकर मानसून के दौरान, जब कमजोर इमारतें ज्यादा खतरे में होती हैं। बीएमसी और राज्य सरकार पर अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों समय रहते जर्जर इमारतों को चिन्हित कर खाली नहीं कराया जाता।

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