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Delhi School Fees: दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला: निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगेगी रोक, नियम तोड़ने पर 10 लाख तक जुर्माना

Delhi School Fees: दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला: निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगेगी रोक, नियम तोड़ने पर 10 लाख तक जुर्माना

दिल्ली सरकार ने राजधानी के निजी स्कूलों द्वारा मनमर्जी से की जा रही फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के लिए एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाया है। इस मुद्दे पर अभिभावकों की लगातार शिकायतों और विरोध के बाद सरकार ने अब इस दिशा में ठोस कार्यवाही शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से घोषणा की कि कैबिनेट ने ‘दिल्ली स्कूल फी एक्ट’ से संबंधित एक मसौदा बिल को मंजूरी दे दी है। यह मसौदा अब जल्द ही विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा और इसके पारित होते ही यह विधेयक एक प्रभावशाली कानून का रूप ले लेगा।

इस कानून के लागू होते ही निजी स्कूलों द्वारा बिना अनुमति या प्रक्रिया का पालन किए फीस बढ़ाने की मनमानी पर पूर्ण विराम लग जाएगा। सरकार का यह कदम राजधानी के करीब 16 लाख स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जो वर्षों से इस समस्या से जूझते आ रहे थे।

नई व्यवस्था के अनुसार, अब प्रत्येक निजी स्कूल को हर शैक्षणिक वर्ष के लिए 31 जुलाई तक आगामी वर्ष की फीस संरचना का प्रस्ताव तैयार करना होगा और 15 सितंबर तक वह प्रस्ताव स्कूल-स्तरीय फीस निर्धारण समिति को सौंपना होगा। यह समिति, जिसमें स्कूल प्रतिनिधियों के साथ-साथ अभिभावक प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, 30 से 45 दिनों के भीतर इस प्रस्ताव पर विचार करेगी और अपना निर्णय देगी।

इसके बाद यह प्रस्ताव जिला स्तर और फिर राज्य स्तर की निगरानी समिति के पास जाएगा, जहां अंतिम समीक्षा की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अक्टूबर से नवंबर के बीच ही अभिभावकों को यह स्पष्ट जानकारी मिल जाए कि अगले सत्र में फीस में कितनी वृद्धि होगी और क्या यह वाजिब है।

इस मसौदा विधेयक में बेहद सख्त दंडात्मक प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। यदि कोई स्कूल बिना कमेटी की स्वीकृति के या उसके निर्णय के विरुद्ध जाकर अतिरिक्त फीस वसूलता है, तो उस पर न्यूनतम 1 लाख रुपये से लेकर अधिकतम 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। बार-बार उल्लंघन की स्थिति में स्कूल का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने स्पष्ट कहा कि अब तक दिल्ली में निजी स्कूलों की फीस संरचना पर कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं था। 1973 के पुराने नियमों में इस संबंध में कोई ठोस प्रावधान नहीं था, जिससे स्कूल प्रबंधन स्वेच्छा से फीस बढ़ाते रहे। लेकिन अब यह नया कानून अभिभावकों को अधिकार देगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह फैसला दिल्ली के लाखों परिवारों के लिए राहत लेकर आया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकना उनकी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और बच्चों की पढ़ाई को आर्थिक बोझ नहीं बनने दिया जाएगा। दिल्ली सरकार के इस कदम को शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है, जिससे निजी स्कूलों की जवाबदेही तय होगी और अभिभावकों को हर साल होने वाली आर्थिक मार से राहत मिलेगी।

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