Waqf Law: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर मचा घमासान, विधायकों में तीखी नोकझोंक से लेकर हाथापाई तक

Waqf Law: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून पर मचा घमासान, विधायकों में तीखी नोकझोंक से लेकर हाथापाई तक
जम्मू-कश्मीर की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। विधानसभा सत्र के तीसरे दिन वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर सदन में जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। विपक्षी दलों ने केंद्र द्वारा लाए गए इस विधेयक को मुस्लिम भावनाओं पर चोट करार दिया, वहीं सत्ता पक्ष ने इसे सुधारात्मक कदम बताते हुए इसका बचाव किया। सदन के भीतर की गरमागरमी विधानसभा परिसर तक पहुंच गई, जहां विधायकों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई की नौबत आ गई।
सुबह की कार्यवाही शुरू होते ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस के विधायकों ने वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा की जोरदार मांग की। विपक्षी विधायकों ने सदन के बीचोंबीच आकर नारेबाजी की और स्पीकर के आसन की ओर बढ़ने की कोशिश की। पीडीपी ने तो यहां तक कहा कि वह इस विधेयक को रद्द करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह कर रही है और एक प्रस्ताव भी विधानसभा में पेश किया गया।
हंगामे के बीच आम आदमी पार्टी और पीडीपी के एक-एक विधायक के बीच तीखी बहस इतनी बढ़ गई कि मामला धक्का-मुक्की में बदल गया। स्थिति को बिगड़ता देख सदन की कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। पर तनाव यहीं नहीं थमा। बाहर भाजपा विधायकों ने बेरोजगारी और दिहाड़ी मजदूरों के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसी दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायक आपस में भिड़ गए और हाथापाई की स्थिति बन गई।
नेता प्रतिपक्ष और भाजपा विधायक सुनील शर्मा ने विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि विपक्ष सिर्फ ड्रामेबाजी कर रहा है। उन्होंने कहा कि “नेकां विधायक, जो कभी उपमुख्यमंत्री रहे हैं, खुले तौर पर कह रहे हैं कि वे विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने देंगे। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। विपक्ष का पूरा उद्देश्य सिर्फ मीडिया में फोटो भेजना और जनता को गुमराह करना है।”
सुनील शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष कश्मीर के मुस्लिम युवाओं की धार्मिक भावनाओं को भड़काकर उन्हें फिर से उकसाना चाहता है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा में जब यह विधेयक चर्चा के लिए आया, तब नेकां के सांसद वहां मौजूद तक नहीं थे। शर्मा ने मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का गरिमापूर्ण स्वागत किया, जिन्होंने यह बिल टेबल किया था।
वहीं, नेकां विधायक मुबारक गुल ने भाजपा पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है और यहां वक्फ जैसे कानून पर चर्चा न होने देना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा, “हमारा मुंह बंद करने की कोशिश हो रही है। अगर भाजपा को लगता है कि यह कानून मुसलमानों के हित में है, तो वह सदन में इसका तार्किक पक्ष रखे।”
गुल ने यह भी कहा कि “हम चाहते थे कि सदन में शांतिपूर्वक इस विधेयक पर चर्चा हो, लेकिन भाजपा विधायक खुद हाथापाई पर उतर आए। यह विधेयक सिर्फ मुस्लिम संस्थाओं पर नियंत्रण की कोशिश है।”
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल जम्मू-कश्मीर की राजनीति को गरमा दिया है, बल्कि यह भी साफ कर दिया है कि वक्फ अधिनियम को लेकर राज्य में आम सहमति बनना मुश्किल है। फिलहाल, सदन की कार्यवाही अगले चरण के लिए टाल दी गई है, लेकिन यह तय है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और अधिक राजनीतिक तूफान खड़ा करेगा।