Axiom 4 Mission: फाल्कन-9 में खराबी के चलते फिर टला Axiom-4 मिशन, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा को लगा विराम
भारतीय अंतरिक्ष उड़ान क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखने जा रहे शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक यात्रा को एक बार फिर विराम लग गया है। एक्सिओम स्पेस (Axiom Space) द्वारा संचालित Axiom-4 मिशन, जो बुधवार की शाम लॉन्च किया जाना था, तकनीकी कारणों से स्थगित कर दिया गया है। यह मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाना था, लेकिन रॉकेट में आई तकनीकी खराबी के चलते आखिरी वक्त पर इसे रोक दिया गया।
स्पेसएक्स ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि लॉन्च से पहले की गई तकनीकी जांच के दौरान फाल्कन-9 रॉकेट में लीक की समस्या सामने आई। स्पेसएक्स इंजीनियरों ने बताया कि मरम्मत के लिए उन्हें अतिरिक्त समय चाहिए, और रॉकेट की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही लॉन्च की नई तारीख घोषित की जाएगी। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अगला लॉन्च कब होगा, जिससे शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक यात्रा को और इंतजार करना पड़ेगा।
Axiom-4 मिशन को इससे पहले भी दो बार स्थगित किया जा चुका है। पहले मिशन को 29 मई को लॉन्च किया जाना था, जिसे आठ जून तक टाल दिया गया। इसके बाद एक बार फिर से इसे 10 जून तक के लिए आगे बढ़ाया गया था। अब तीसरी बार तकनीकी खराबी के चलते यह मिशन रुका है।
शुभांशु शुक्ला इस मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे। इस ऐतिहासिक उड़ान में उनके साथ तीन अन्य अंतरिक्षयात्री भी शामिल हैं— पोलैंड से स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी से टिबोर कापू और मिशन की कमांडर के रूप में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन। इस टीम में शुभांशु को मिशन पायलट की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो भारत के लिए गर्व की बात है।
यह मिशन न केवल भारत के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है। शुभांशु की यह उड़ान युवाओं को प्रेरित करेगी और भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को एक नई दिशा देगी।
अब पूरा देश शुभांशु और उनकी टीम के लिए एक सुरक्षित और सफल लॉन्च की प्रतीक्षा कर रहा है। जब यह मिशन अंततः उड़ान भरेगा, तब यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ेगा।