West Bengal: शिक्षक भर्ती के खिलाफ बंगाल में बीजेपी का हल्ला बोल, लॉकेट चटर्जी समेत 20 कार्यकर्ता हिरासत में
पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर छिड़ा विवाद अब सियासी रंग ले चुका है। 25,752 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भर्ती प्रक्रिया से हटाए गए एसएससी शिक्षकों के मुद्दे को लेकर भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की मांग की है। पार्टी का आरोप है कि पूरी प्रक्रिया भ्रष्टाचार से ग्रस्त है और इसका सबसे बड़ा लाभ खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके करीबी नेताओं को मिला है।
इस मुद्दे पर कोलकाता की सड़कों पर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। भाजपा की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा ने एक विशाल मार्च की योजना बनाई थी, जो एक्साइड क्रॉसिंग से शुरू होकर कालीघाट तक लगभग दो किलोमीटर की दूरी तय करने वाला था। यह मार्च सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध के रूप में रखा गया था, लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने इसे रोकने की कोशिश की।
प्रदर्शन के दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया, जब पूर्व सांसद और भाजपा नेता लॉकेट चटर्जी समेत 20 से अधिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पुलिस की इस कार्रवाई से भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया और कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी स्थिति को संभालने की कोशिश की और सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के एक समूह से मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि सरकार की ओर से पहली बार सार्वजनिक रूप से उन शिक्षकों के साथ संवाद स्थापित किया गया है जो इस विवाद का केंद्र बने हुए हैं।
भाजपा की ओर से इस मुद्दे को लेकर लगातार तीखा हमला जारी है। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ममता बनर्जी को जेल भेजा जाना चाहिए क्योंकि वे इस घोटाले की मुख्य लाभार्थी हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री के भतीजे ने इस प्रक्रिया में 700 करोड़ रुपये की रिश्वत ली है, जिससे यह मामला और अधिक गंभीर हो गया है।
सुवेंदु अधिकारी ने अपने कई भाजपा विधायकों के साथ राज्य सरकार के खिलाफ खुलकर प्रदर्शन किया और कहा कि यह लड़ाई सिर्फ शिक्षकों की नहीं, बल्कि बंगाल के भविष्य की है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त रही है और शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र को भी नहीं बख्शा गया।
पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की विफलता का नहीं बल्कि सत्ताधारी पार्टी की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी एक बड़ा सवाल बन चुका है। भाजपा ने इस मामले को आगामी चुनावों का एक बड़ा एजेंडा बनाने के संकेत दे दिए हैं। फिलहाल राज्य की सियासत इस मुद्दे पर गरमाई हुई है और आने वाले दिनों में राजनीतिक तापमान और भी चढ़ने की संभावना है।