Jagan Money Laundering: ईडी की बड़ी कार्रवाई: वाईएस जगन मोहन रेड्डी और डीसीबीएल की संपत्तियां जब्त
नई दिल्ली, 17 अप्रैल — आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक पुराने मामले में करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से अटैच कर ली है। यह कार्रवाई उस 14 साल पुराने सीबीआई मामले से जुड़ी है जो साल 2011 में दर्ज किया गया था।
ED के अनुसार, मामला डेलमिया सीमेंट्स (भारत) लिमिटेड (DCBL) द्वारा की गई एक संदिग्ध निवेश डील से जुड़ा है। आरोप है कि DCBL ने भरती सीमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया था, जो जगन रेड्डी से जुड़ी कंपनी मानी जाती है। इस निवेश के बदले में तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी (जगन के पिता) के प्रभाव का उपयोग कर DCBL को कडपा जिले में 407 हेक्टेयर भूमि पर माइनिंग लीज दी गई।
ED ने बुधवार को जिन संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त (provisional attachment) किया, उनमें शामिल हैं:
27.5 करोड़ रुपये के शेयर – जो तीन कंपनियों में जगन रेड्डी की हिस्सेदारी से संबंधित हैं:
कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड
सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड
हर्षा फर्म
DCBL की 377.2 करोड़ रुपये मूल्य की भूमि – जो आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में स्थित है।
DCBL ने भी इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि ED द्वारा अटैच की गई कुल संपत्ति की कीमत 793.3 करोड़ रुपये है।
पैसे का लेनदेन और हवाला कनेक्शन
ED और CBI दोनों के अनुसार, DCBL ने वर्ष 2008-2009 में रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में 95 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद कंपनी ने अपने शेयर फ्रांसीसी कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ रुपये में बेच दिए। इस डील के तहत 55 करोड़ रुपये नकद में हवाला के ज़रिए मई 2010 से जून 2011 के बीच जगन मोहन रेड्डी को दिए गए। इन नकद भुगतानों का उल्लेख दिल्ली स्थित आयकर विभाग द्वारा जब्त दस्तावेजों में पाया गया है।
ED का आरोप और आगे की कार्रवाई
ED ने अपनी जांच में यह निष्कर्ष निकाला है कि ये निवेश और रिटर्न संपूर्ण रूप से quid pro quo (लेन-देन के बदले लाभ) के तहत किए गए थे। एजेंसी के अनुसार, डेलमिया सीमेंट्स को माइनिंग लीज दिलवाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया गया और बदले में भारी रकम जगन रेड्डी की कंपनियों में निवेश की गई, जो मनी लॉन्ड्रिंग की श्रेणी में आता है।
अब जब संपत्तियों को अटैच कर लिया गया है, ED जल्द ही इस मामले में अभियोजन शिकायत (prosecution complaint) दाखिल कर सकती है और अदालत से दोष सिद्ध करने की दिशा में कार्रवाई कर सकती है।