Ram Navami Procession: राम नवमी जुलूसों पर हमले से तनाव: पालघर में अंडे फेंके, कोलकाता में पथराव

Ram Navami Procession: राम नवमी जुलूसों पर हमले से तनाव: पालघर में अंडे फेंके, कोलकाता में पथराव

राम नवमी के जुलूसों पर देश के अलग-अलग हिस्सों में हमले की घटनाएं सामने आई हैं। महाराष्ट्र के पालघर में जहां अंडे फेंकने की घटना से इलाके में तनाव फैल गया, वहीं पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भाजपा ने जुलूस पर पथराव के आरोप लगाए हैं।

पालघर में अंडे फेंकने की घटना से हड़कंप

पालघर जिले के विरार इलाके में रविवार को निकाले जा रहे राम नवमी जुलूस पर कथित तौर पर कुछ लोगों ने अंडे फेंके। यह जुलूस सकल हिंदू समाज द्वारा निकाला गया था, जो सर्वेश्वर मंदिर, चिखलडोंगरी से शुरू होकर पिंप्लेश्वर मंदिर, ग्लोबल सिटी, विरार (पश्चिम) की ओर जा रहा था। जुलूस में 100 से 150 वाहन, एक रथ और दो टैंपो शामिल थे।

अंडे फेंके जाने की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और एक व्यक्ति को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। प्रशासन ने शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील की है।

कोलकाता में जुलूस पर पथराव, भाजपा ने लगाए आरोप

वहीं पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एक वीडियो शेयर कर दावा किया कि कोलकाता के पार्क सर्कस सेवन पॉइंट इलाके में राम नवमी का जुलूस जब लौट रहा था, तब उस पर पथराव किया गया। वीडियो में वाहनों के टूटे कांच और भगदड़ के दृश्य दिखाए गए हैं। भाजपा का आरोप है कि भगवा झंडा लेकर चलने वालों को निशाना बनाकर हमला किया गया।

मजूमदार ने पुलिस पर निष्क्रिय रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि ममता बनर्जी की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है और शांति वाहिनी अब शांति नहीं, बल्कि डर की वाहिनी बन गई है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगले वर्ष और भी बड़ा जुलूस निकाला जाएगा, और शांत खड़ी पुलिस तब फूल बरसाएगी।

राजनीतिक माहौल गर्माया, पुलिस अलर्ट पर

इन दोनों घटनाओं ने देशभर में राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। एक तरफ भाजपा हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगा रही है, वहीं राज्य सरकारों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस ने दोनों ही मामलों में जांच शुरू कर दी है और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर नजर रखी जा रही है।

इन घटनाओं ने एक बार फिर त्योहारों के दौरान होने वाली सांप्रदायिक अशांति और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की संवेदनशीलता को उजागर किया है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन प्रशासन और समाज दोनों के लिए यह चेतावनी है कि धार्मिक आयोजनों की गरिमा को हर हाल में बनाए रखना जरूरी है।

 

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