GST Cut: GST कटौती बिहार चुनाव से जुड़ा नहीं, पूरे देश के लिए सुधार है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक गर्मी के बीच केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) में बड़े बदलाव और दरों में कटौती का ऐलान किया है। इस फैसले के तुरंत बाद विपक्ष ने सवाल उठाए कि क्या यह कदम बिहार चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का छुपा हुआ चुनावी घोषणापत्र है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन सवालों का सीधा जवाब देते हुए कहा कि यह किसी राज्य का नहीं बल्कि पूरे देश के 140 करोड़ लोगों का मैनिफेस्टो है।
सीतारमण ने आजतक को दिए अपने विशेष इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि मोदी सरकार ने जीएसटी सुधारों पर पिछले डेढ़ साल से काम किया है और यह चुनावी राजनीति का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि छठ महापर्व और दिवाली से पहले उपभोक्ताओं को डबल फायदा मिलने जा रहा है। वित्त मंत्री के अनुसार, रेट कटौती का असर नवरात्रि से ही बाजारों में दिखना शुरू हो जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि यह बदलाव उद्योग और कारोबारियों से चर्चा के बाद किए गए हैं ताकि कटौती का सीधा लाभ आम जनता तक पहुंचे। उन्होंने चिंता जताई कि अक्सर कंपनियां रेट कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचातीं और बहाने बनाकर कीमतें जस की तस रखती हैं। इस पर कड़ी निगरानी की जा रही है और उद्योग जगत को भी आश्वस्त करना पड़ा है कि वे जनता को पूरा फायदा देंगे।
बिहार पर विशेष सवाल पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा कि बिहार उपभोग करने वाला राज्य है, इसलिए गुटखा और तंबाकू पर टैक्स बढ़ने से भी उसका नुकसान नहीं होगा। बल्कि रेट कटौती से लोगों की खरीदारी बढ़ेगी और राज्य को फायदा मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि इस बार त्योहारी सीजन में उपभोक्ता पहले से दोगुना सामान खरीद पाएंगे।
विपक्ष के सवालों पर सीतारमण ने तीखा पलटवार भी किया। उन्होंने कहा कि वही कांग्रेस नेता, जिन्होंने कभी GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहकर उसका मज़ाक उड़ाया था, आज इसके सुधारों का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारों ने 91% तक कर लगाकर न केवल उद्योगों बल्कि आम नागरिकों को भी दबा दिया था, जबकि मोदी सरकार कर सुधारों को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से स्पष्ट संदेश दिया था कि जीएसटी 2.0 लाया जाएगा और यह सुधार विपक्ष के दबाव या चुनाव प्रचार के कारण नहीं बल्कि देश की ज़रूरतों और आम लोगों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर किए गए हैं।
सीतारमण ने यह भी स्पष्ट किया कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को टैक्स से राहत दी गई है, जबकि केवल कमर्शियल संस्थानों को ही दायरे में रखा गया है। उनका कहना था कि सरकार का उद्देश्य लोगों की जेब पर बोझ कम करना और उपभोग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है।