NEET Paper Leak: बिहार पुलिस के लिए सिरदर्द बना मास्टरमाइंड संजीव मुखिया, अब घोषित हुआ इनाम
NEET पेपर लीक मामले में बिहार पुलिस को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस बहुचर्चित मामले का मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड संजीव मुखिया अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। महीनों से चली आ रही छापेमारी और जांच के बावजूद बिहार पुलिस उसे तलाश नहीं पाई है। अब तमाम असफल प्रयासों के बाद पुलिस मुख्यालय ने उसे पकड़वाने के लिए इनाम की घोषणा कर दी है।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने संजीव मुखिया के अलावा दो अन्य आरोपियों—नालंदा जिले के सोहसराय निवासी शुभम कुमार और अरवल के राजकिशोर कुमार—पर भी ₹1 लाख का इनाम घोषित किया है। इन तीनों के खिलाफ सबूत मिलने और बार-बार फरार रहने के चलते पुलिस ने यह कदम उठाया है।
संजीव मुखिया को पकड़ने के लिए बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने न केवल राज्य के विभिन्न जिलों में बल्कि झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान तक में छापेमारी की। लेकिन वह अब तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा है। इस मामले में EOU के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लो ने गृह विभाग को संजीव मुखिया पर इनाम घोषित करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे हाल ही में स्वीकृति दे दी गई।
संजीव मुखिया का नाम पहली बार 2010 में एक मेडिकल प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक मामले में सामने आया था। उसके खिलाफ सबूत मिलने पर 2016 में उसे गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन मजबूत कानूनी साक्ष्यों के अभाव में वह मात्र दो महीने में जमानत पर रिहा हो गया। इसके बाद उसने अपने नेटवर्क को और मजबूत करते हुए देश के कई राज्यों में पेपर लीक का गिरोह खड़ा कर लिया।
बताया जा रहा है कि जैसे ही किसी राज्य में नौकरी या परीक्षा का विज्ञापन आता है, संजीव मुखिया का गिरोह सक्रिय हो जाता है। यह गिरोह कैंडिडेट्स को मोटी रकम लेकर परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र उपलब्ध करवा देता है। गिरोह में बिहार के अलावा झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान के कई प्रभावशाली माफिया और दलाल शामिल हैं।
NEET जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में पेपर लीक की घटना ने पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले ने न केवल ईमानदार छात्रों के भविष्य पर संकट डाला है, बल्कि बिहार पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।
अब जबकि संजीव मुखिया और उसके सहयोगियों पर इनाम घोषित कर दिया गया है, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह गिरोह कानून के शिकंजे में आएगा। लेकिन तब तक यह सवाल बना रहेगा—क्या देश की सबसे अहम परीक्षाएं वाकई सुरक्षित हैं?