Himachal Monsoon Tragedy: हिमाचल में मानसून बना विनाश का पर्याय, 85 मौतें, 34 लोग लापता, 739 करोड़ का नुकसान
हिमाचल प्रदेश इन दिनों भीषण प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। 20 जून से जारी बारिश और भूस्खलन के कहर ने राज्य में जीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। अब तक वर्षा जनित हादसों में 85 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है, 34 लोग अब भी लापता हैं और 129 लोग घायल हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे मानसून सीजन में हिमाचल को अब तक 739 करोड़ रुपये से अधिक की चल और अचल संपत्ति का नुकसान हो चुका है।
प्रदेश की राजधानी शिमला से लेकर दूरदराज़ के गांवों तक बारिश ने तबाही मचाई है। सिरमौर जिले के गिरी जटोन डैम से बीती रात और आज सुबह पानी छोड़े जाने के बाद नदियों और नालों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। जिला प्रशासन ने मैदानी क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। बीती रात कई इलाकों में भारी बारिश के कारण हालात और बिगड़ गए हैं।
राज्यभर में 204 सड़कों पर आवाजाही बंद है, जिनमें एक नेशनल हाईवे भी शामिल है। इसके साथ ही 740 पेयजल योजनाएं और 192 बिजली ट्रांसफार्मर भी ठप हो चुके हैं। मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बना हुआ है, जहां 30 जून की रात बादल फटने के बाद से स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है। मंडी में अब भी 138 सड़कें, 124 ट्रांसफार्मर और 137 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। वहीं, कांगड़ा जिले में 603 पेयजल योजनाएं ठप पड़ी हैं, जिनमें से धर्मशाला उपमंडल की 466 योजनाएं, देहरा की 73 और नूरपुर की 64 प्रमुख रूप से बंद हैं।
मौसम विभाग ने प्रदेश के कई हिस्सों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। सिरमौर के धौलाकुआं में 168 मिमी, बिलासपुर में 120 मिमी, मनाली में 46 मिमी और जुब्बड़हट्टी में 44 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। अगले 24 घंटे भी भारी बारिश की चेतावनी है और 12 से 16 जुलाई के बीच फिर से मूसलाधार वर्षा का अनुमान जताया गया है।
वर्षा और भूस्खलन से मकानों, दुकानों और पशुशालाओं को भी भारी नुकसान हुआ है। अब तक 431 घर पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं जबकि 922 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा 223 दुकानें और 877 पशुशालाएं भी तबाह हो चुकी हैं। अकेले मंडी जिले में ही 409 मकान और 203 दुकानें पूरी तरह जमींदोज हो गईं हैं, जबकि 732 मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है। मंडी में ही 20 लोगों की मौत और 27 लोगों के लापता होने की पुष्टि हुई है।
राज्य को अब तक कुल 739 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। इसमें जलशक्ति विभाग को 402 करोड़ और लोक निर्माण विभाग को 318 करोड़ रुपये की क्षति आंकी गई है। इस भीषण आपदा ने न केवल भौतिक ढांचे को तोड़ा है, बल्कि लोगों के जीवन, आजीविका और मानसिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डाला है।
हिमाचल प्रदेश सरकार और राहत एजेंसियां राहत कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन लगातार बारिश और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण चुनौती और भी गंभीर हो चुकी है। आने वाले दिनों में बारिश की चेतावनी के बीच लोगों से सतर्कता बरतने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।