Naxal Mukt Chhattisgarh: सुकमा के बड़ेसट्टी गांव को मिली ऐतिहासिक पहचान, बना जिले का पहला नक्सलमुक्त ग्राम, 11 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलवाद के विरुद्ध चल रहे अभियान को एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। जिले की ग्राम पंचायत बड़ेसट्टी को आधिकारिक रूप से सुकमा का पहला नक्सलमुक्त गांव घोषित कर दिया गया है। यह उपलब्धि राज्य सरकार की “छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025” और “नक्सली इलवद पंचायत योजना” के अंतर्गत दर्ज की गई है, जो कि नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति बहाली की दिशा में एक निर्णायक कदम मानी जा रही है।
इस योजना के तहत ग्राम पंचायत बड़ेसट्टी में सक्रिय 11 माओवादी उग्रवादियों ने सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में दो महिलाएं भी शामिल हैं, जो लंबे समय से जंगलों में सक्रिय थीं। यह कदम दर्शाता है कि अब नक्सली संगठनों में भी सरकार की पुनर्वास नीति और विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का असर दिखाई देने लगा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में तीन पुरुष और एक महिला नक्सली पर दो-दो लाख रुपये का इनाम घोषित था, जबकि एक अन्य पुरुष नक्सली पर पचास हजार रुपये का इनाम था। कुल मिलाकर, इन पांच इनामी नक्सलियों पर 8.5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह दर्शाता है कि ये सभी नक्सली संगठन के भीतर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे और लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर थे।
राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के अंतर्गत इन सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है, जिसमें 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि, कपड़े, राशन, और अन्य आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। यह नीति विशेष रूप से उन नक्सलियों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है जो हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद, छत्तीसगढ़ शासन ने ग्राम पंचायत बड़ेसट्टी को नक्सलमुक्त घोषित करते हुए 1 करोड़ रुपये की विशेष प्रोत्साहन राशि जारी करने की घोषणा की है। इस राशि का उपयोग गांव में बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, जल आपूर्ति और आजीविका के साधनों को सुदृढ़ करने जैसे कार्यों के लिए किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गांव दोबारा किसी भी प्रकार की उग्रवाद की ओर न मुड़े और ग्रामीणों को शांति एवं समृद्धि का स्थायी अनुभव हो।
बड़ेसट्टी गांव की यह कहानी अब केवल सुकमा जिले के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ और देश के अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। यह साबित करता है कि जब सरकार की नीति स्पष्ट, मानवीय और दूरदर्शी हो, तो हिंसा और आतंक का अंत संभव है। यह घटना न केवल प्रशासन और सुरक्षा बलों की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह उस सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत भी है, जिसकी ओर छत्तीसगढ़ अब तेजी से अग्रसर हो रहा है