Operation Sindoor: LOC पर मेड-इन-इंडिया हथियारों से भारतीय सेना का करारा प्रहार
पुंछ, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के पुंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत दुश्मन को जबरदस्त जवाब देकर यह स्पष्ट कर दिया कि अब भारत न सिर्फ रणनीति में सक्षम है, बल्कि हथियारों के मामले में भी आत्मनिर्भर बन चुका है। इस विशेष सैन्य अभियान में भारतीय सेना ने स्वदेशी तोपखाना प्रणाली और अन्य मेड-इन-इंडिया हथियारों का प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए 20 से अधिक दुश्मनी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया।
सेना सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर की योजना काफी समय से बनाई जा रही थी। इसका उद्देश्य था एलओसी पर स्थित उन आतंकी शिविरों, लॉन्च पैड्स और चौकियों को नष्ट करना जो लगातार सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को समर्थन दे रही थीं। जैसे ही खुफिया जानकारी पुष्ट हुई, सेना ने ऑपरेशन को अंजाम देने का निर्णय लिया। कार्रवाई के दौरान 600 से अधिक राउंड मेड-इन-इंडिया गोले दागे गए, जिनमें दुश्मन के अड्डों को बेहद सटीकता से निशाना बनाकर भारी नुकसान पहुंचाया गया।
इस ऑपरेशन में प्रयोग किए गए हथियार पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित थे। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विकसित इन हथियारों में नवीनतम तोपें, फायर कंट्रोल सिस्टम और स्मार्ट गोला-बारूद शामिल थे। ये हथियार उच्च स्तर की सटीकता और मारक क्षमता से लैस हैं, जिससे यह अभियान भारतीय रक्षा उत्पादन की सफलता का प्रतीक बन गया।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने यह दिखा दिया कि भारत अब विदेशी हथियारों पर निर्भर नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई नहीं थी, यह स्वदेशी शक्ति का प्रदर्शन था। दुश्मन को उसकी ही भाषा में जवाब देना और वह भी स्वदेशी ताकत के साथ, यह हमारी बड़ी उपलब्धि है।”
इस कार्रवाई ने जहां दुश्मन के मंसूबों को नेस्तनाबूद कर दिया, वहीं भारतीय जनता को यह भरोसा भी दिलाया कि देश की सुरक्षा अब आत्मनिर्भर तकनीक के हाथों में है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल सामरिक तौर पर सफलता हासिल की, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि भारत अब तकनीकी रूप से विकसित और स्वतंत्र राष्ट्र की श्रेणी में आ चुका है।
भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों को इससे जबरदस्त बल मिला है। यह अभियान भविष्य में भारतीय सेना की कार्यशैली और सामरिक रणनीति में स्वदेशी तकनीक के वृहद उपयोग की दिशा में एक नया अध्याय साबित होगा।