PM Modi Nagpur Visit: नागपुर में पीएम मोदी का संबोधन: आरएसएस भारत की अमर संस्कृति का अक्षयवट, सेवा और समर्पण का प्रतीक

PM Modi Nagpur Visit: नागपुर में पीएम मोदी का संबोधन: आरएसएस भारत की अमर संस्कृति का अक्षयवट, सेवा और समर्पण का प्रतीक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय और दीक्षाभूमि का दौरा किया। इस अवसर पर उन्होंने माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर की आधारशिला रखी और एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने आरएसएस के योगदान, सेवा भावना और भारत की राष्ट्रीय चेतना पर विस्तार से चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जहां सेवा है, वहां स्वयंसेवक हैं। संघ के स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से काम करते रहते हैं और यही संघ का असली संस्कार है। उन्होंने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड के दौरान डॉक्टर हेडगेवार और गुरुजी गोलवलकर ने एक नया विचार दिया, जो आज एक महान वटवृक्ष बनकर दुनिया के सामने है। यह कोई साधारण वटवृक्ष नहीं, बल्कि भारत की अमर संस्कृति का अक्षयवट है, जो अनवरत रूप से भारतीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने आरएसएस के 100 वर्षों की गौरवशाली यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि संघ ने भारतीय समाज को संगठित करने, राष्ट्रीय चेतना को जगाने और सेवा कार्यों में अपनी पूरी शक्ति झोंकने का काम किया है। उन्होंने गुरुजी और डॉक्टर हेडगेवार को नमन करते हुए कहा कि संघ ने अपने सेवा कार्यों से राष्ट्र निर्माण में एक अद्वितीय भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने माधव नेत्रालय की स्थापना को सेवा के तीर्थ के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि यह संस्थान कई दशकों से लाखों लोगों को नेत्र चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज जिस नए परिसर की आधारशिला रखी गई है, उससे सेवा कार्य को और गति मिलेगी। उन्होंने माधव नेत्रालय से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह संस्था समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग को राहत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार की प्राथमिकता गरीब और बुजुर्गों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से करोड़ों लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं। उन्होंने इस पहल को भारत के स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
प्रधानमंत्री ने भारत की ऐतिहासिक संघर्ष यात्रा को याद करते हुए कहा कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी और विदेशी आक्रमणों ने हमें मिटाने की क्रूर कोशिशें कीं, लेकिन हमारी चेतना कभी समाप्त नहीं हुई। इस चेतना को जागृत रखने के लिए समय-समय पर समाज सुधार और राष्ट्रीय आंदोलन होते रहे। भक्ति आंदोलन इसी का एक उदाहरण था, जिसमें संतों ने राष्ट्रीय चेतना को एक नई ऊर्जा दी। स्वामी विवेकानंद ने निराशा में डूबे समाज को झकझोरा और आशा का संचार किया।
प्रधानमंत्री ने आरएसएस की सेवा भावना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक संस्कार यज्ञ है। यह न केवल बाहरी दृष्टि से राष्ट्र की सेवा कर रहा है, बल्कि आंतरिक रूप से भी भारतीय समाज को सशक्त कर रहा है। बाह्य दृष्टि से इसने माधव नेत्रालय जैसी संस्थाओं को जन्म दिया, जबकि अंतर्दृष्टि ने संघ को सेवा और राष्ट्र समर्पण का प्रतीक बना दिया।
उन्होंने कहा कि पूज्य गुरुजी कहते थे कि जीवन की अवधि पर नहीं, बल्कि उसकी उपयोगिता पर ध्यान देना चाहिए। इसी भावना को संघ के स्वयंसेवक अपने कार्यों में जीते हैं। उन्होंने कुंभ मेले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां संघ के कार्यकर्ताओं ने लाखों श्रद्धालुओं की सेवा की, यह दिखाते हुए कि “जहां सेवा, वहां स्वयंसेवक” की भावना संघ का मूल तत्व है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रीय गौरव के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। अंग्रेजों द्वारा बनाए गए पुराने औपनिवेशिक कानूनों को बदला जा रहा है। राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ कर दिया गया है, और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में उन स्थानों के नाम स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में रखे गए हैं, जहां वीर सावरकर ने यातनाएं सही थीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अंत में कहा कि भारत एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, और इसके लिए हमें उन बेड़ियों को तोड़ना होगा, जिन्होंने देश को लंबे समय तक जकड़ रखा था। संघ की सेवा भावना, संस्कार और साधना इस यात्रा में देश को मजबूती प्रदान करेंगे। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे इस महान परिवर्तन का हिस्सा बनें और भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में योगदान दें।