SP MLA Expelled: सपा ने तीन विधायकों को किया निष्कासित, आरोप- पार्टी विरोधी, विभाजनकारी और जनविरोधी राजनीति का समर्थन

SP MLA Expelled: सपा ने तीन विधायकों को किया निष्कासित, आरोप- पार्टी विरोधी, विभाजनकारी और जनविरोधी राजनीति का समर्थन

लखनऊ, 14 जून — समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को बड़ा संगठनात्मक कदम उठाते हुए अपने तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। पार्टी विरोधी गतिविधियों, सांप्रदायिक और विभाजनकारी सियासत को बढ़ावा देने के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है। जिन विधायकों पर यह सख्त कार्रवाई की गई है, उनमें गोशाईगंज से विधायक अभय सिंह, गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह और ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडेय शामिल हैं।

समाजवादी पार्टी की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इन नेताओं ने पार्टी की मूल समाजवादी विचारधारा के विरुद्ध काम किया, जनहित के बजाय विभाजनकारी एजेंडों का समर्थन किया और किसान, महिला, युवा तथा व्यापार विरोधी नीतियों के साथ खड़े रहे। पार्टी ने स्पष्ट रूप से इन विधायकों पर आरोप लगाया है कि वे “सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति” को बढ़ावा दे रहे थे, जो सपा की विचारधारा के पूरी तरह खिलाफ है।

पार्टी द्वारा X (पूर्व में ट्विटर) पर जारी पोस्ट में लिखा गया, “समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और पीडीए विरोधी विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में इन विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है।”

बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि इन नेताओं को आत्ममंथन और सुधार का पर्याप्त अवसर दिया गया। पार्टी ने इन्हें ‘अनुग्रह-अवधि’ प्रदान की थी, लेकिन वे उसमें भी विफल रहे। सपा ने यह स्पष्ट किया है कि भविष्य में भी पार्टी विरोधी और जनविरोधी किसी भी व्यक्ति के लिए संगठन में कोई स्थान नहीं होगा।

निष्कासन के फैसले को पार्टी ने अपनी वैचारिक मजबूती और नीतिगत दृढ़ता का प्रतीक बताया है। सपा का कहना है कि उसका मूल उद्देश्य समाज के सभी वर्गों — खासकर गरीबों, किसानों, युवाओं, महिलाओं और वंचितों — के हक की लड़ाई लड़ना है। ऐसे में किसी भी तरह की साम्प्रदायिक या विघटनकारी सोच को संगठन के भीतर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ये तीनों विधायक लंबे समय से संगठनात्मक निर्देशों की अनदेखी कर रहे थे, और उनकी गतिविधियों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच लगातार असंतोष बढ़ रहा था। अंततः पार्टी नेतृत्व को कठोर कदम उठाना पड़ा।

इस निष्कासन को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। खास तौर पर 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में जहां सपा विपक्ष की सबसे मजबूत ताकत के रूप में उभरना चाहती है, यह फैसला उसकी सख्त अनुशासन नीति को दर्शाता है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि इन विधायकों का अगला राजनीतिक कदम क्या होता है — क्या वे किसी अन्य दल का रुख करेंगे या अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से जनता का समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे।

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