NIA Raid Karnataka: सुहास शेट्टी मर्डर केस में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, कर्नाटक के 18 ठिकानों पर छापेमारी, आतंकी साजिश के संकेत

NIA Raid Karnataka: सुहास शेट्टी मर्डर केस में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, कर्नाटक के 18 ठिकानों पर छापेमारी, आतंकी साजिश के संकेत

बजरंग दल के कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की निर्मम हत्या मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शनिवार को कर्नाटक के तीन प्रमुख जिलों—मैंगलुरु, चिकमंगलूर और हासन—में 18 अलग-अलग ठिकानों पर समन्वित छापेमारी की। यह कार्रवाई एक सुनियोजित और हिंसक साजिश के गंभीर सुरागों की पुष्टि के बाद की गई, जिससे मामला अब केवल हत्या नहीं, बल्कि संभावित आतंकी मंशा की ओर इशारा कर रहा है।

गौरतलब है कि मई 2025 में मैंगलुरु सिटी के बजपे क्षेत्र में सुहास शेट्टी की सरेआम हत्या कर दी गई थी। धारदार हथियारों से किए गए इस हमले ने पूरे कर्नाटक को हिला दिया था। हमले के पीछे मुख्य आरोपी अब्दुल सफवान और उसके सहयोगियों को बताया गया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि यह अपराध केवल व्यक्तिगत दुश्मनी या गुटबाजी नहीं, बल्कि समाज में डर और कट्टरता का माहौल पैदा करने के उद्देश्य से किया गया था।

शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही थी, लेकिन जून 2025 में इसे एनआईए को सौंप दिया गया। एनआईए ने मामले को गंभीरता से लेते हुए व्यापक स्तर पर जांच शुरू की और शनिवार को 18 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापेमारी पहले से गिरफ्तार 12 आरोपियों और कुछ संदिग्धों के घरों पर की गई थी।

छापेमारी के दौरान एनआईए की टीम को कई अहम डिजिटल और भौतिक साक्ष्य प्राप्त हुए, जिनमें 11 मोबाइल फोन, 13 सिम कार्ड, 8 मेमोरी कार्ड और महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल हैं। एजेंसी का मानना है कि इन उपकरणों में हत्या से जुड़ी न केवल बातचीत और साजिश के सबूत हो सकते हैं, बल्कि इसके पीछे सक्रिय कट्टरपंथी नेटवर्क की मौजूदगी की भी पुष्टि मिल सकती है।

सूत्रों के अनुसार, यह हत्या एक सुनियोजित योजना का हिस्सा थी और अब एजेंसी इस बात की जांच कर रही है कि क्या इसमें क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की भूमिका रही है। एनआईए के अधिकारियों का कहना है कि कई संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ चल रही है और जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।

एनआईए का कहना है कि यह केवल एक हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह समाज के एक वर्ग को डराने, धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने और कट्टरपंथ फैलाने का प्रयास था। एजेंसी की जांच का अगला चरण उन आर्थिक स्रोतों और नेटवर्क पर केंद्रित रहेगा, जो इस तरह की गतिविधियों को समर्थन देते हैं।

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