Water Crisis For Pakistan: पाकिस्तान को पानी की मार: अफगानिस्तान में शहतूत बांध बनाकर भारत करेगा बड़ा प्रहार
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ एक और कूटनीतिक और रणनीतिक प्रहार की तैयारी कर ली है। इस बार निशाने पर है पाकिस्तान की जल जरूरतें। भारत अब अफगानिस्तान में काबुल नदी पर शहतूत बांध बनाकर न केवल अफगान नागरिकों को साफ पेयजल उपलब्ध कराएगा बल्कि पाकिस्तान की जल आपूर्ति पर भी प्रभाव डालेगा। इस परियोजना के लिए भारत अफगानिस्तान को 236 मिलियन डॉलर की वित्तीय और तकनीकी सहायता देगा।
काबुल नदी हिंदूकुश पर्वतों से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से होकर बहती है। भारत द्वारा प्रस्तावित शहतूत डैम परियोजना इसी नदी पर बनेगी। जब यह डैम पूरा होगा, तो इससे अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और आसपास के इलाकों में रहने वाले लगभग 20 लाख लोगों को शुद्ध पेयजल मिलेगा। साथ ही इससे करीब 4,000 हेक्टेयर भूमि सिंचित की जा सकेगी। लेकिन इस परियोजना का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान पर होगा, क्योंकि इससे खैबर पख्तूनख्वा के इलाकों में पानी की किल्लत और बढ़ सकती है।
15 मई को भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर मुत्ताकी के बीच हुई फोन वार्ता ने इस परियोजना को एक नई दिशा दी है। सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी है कि भारत द्वारा शुरू की गई विकास परियोजनाओं को फिर से सक्रिय किया जाएगा, जिसमें शहतूत बांध परियोजना भी प्रमुख है। फरवरी 2021 में इस परियोजना को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था, लेकिन तालिबान के सत्ता में आने के बाद इसपर काम रुक गया था। अब भारत और तालिबान सरकार के बीच सीमित संवाद की शुरुआत के साथ इस परियोजना को फिर से आगे बढ़ाया जा रहा है।
इस कदम से पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। एक तरफ भारत ने पहले ही सिंधु जल संधि को लेकर कड़ा रुख अपनाया हुआ है और अब दूसरी ओर वह अफगानिस्तान से पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर भी प्रभाव डालने की स्थिति में आ रहा है। पाकिस्तान पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है और यह नया कदम उसकी मुश्किलें और बढ़ा सकता है।
भारत का यह कदम सिर्फ जल संसाधनों की रणनीति नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की नीति को अब हर मोर्चे पर जवाब मिलेगा—चाहे वह कूटनीति हो, सीमा सुरक्षा हो या जल नीति।