Badass Ravi Kumar Review: कुंडली में शनि, घी के साथ हनी और रवि कुमार से दुश्मनी भारी पड़ती है. फिल्म देखकर अपने दिमाग से दुश्मनी मत लेना, हिमेश रेशमिया की ये फिल्म खराब फिल्मों के पैमाने को काफी ऊपर के जाती है. फिल्म के शुरुआत में बताया जाता है कि लॉजिक इज ऑपशनल पर भाई लॉजिक शब्द का इस्तेमाल यहां इस शब्द की घनघोर बेइज्जती है. इसे 80 के स्टाइल की फिल्म बताया जा रहा है लेकिन भाई 60 के दशक में भी ऐसी खराब फिल्में नहीं बनती थी.
कहानी
बस इतना ही कह सकते हैं कि कहानी रवि कुमार की है जो एक पुलिसवाला है, अब आगे आप समझ ही गए होंगे कि वो सब कर सकता है. देश के दुश्मनों का खात्मा करेगा ही करेगा और बस वो यही करता है और कैसे करता है ये हिम्मत हो तो थियेटर जाकर देखिएगा लेकिन अपने रिस्क पर.
कैसी है फिल्म
ट्रेलर से लगा था यह फिल्म cringe होगी लेकिन यहां तो cringe को भी शर्म आ गई. मतलब ऐसी फिल्म कोई बना कैसे सकता है. हिमेश ने तो चलो फिल्म बनाई लेकिन बाकी लोगों की क्या मजबूरी थी वो समझ नहीं आए. 80 के दशक के फिल्ममेकर इसे देखकर काफी दुखी होंगे कि है हमारी फिल्मों के नाम पर ये क्या किया जा रहा है. ये स्पूफ भी नहीं लगती क्योंकि स्पूफ भी मजेदार होते हैं, बस ट्रेलर में जो दिखा था वही है. इंस्टाग्राम की क्रिंज रील्स से भी ज्यादा क्रिंज एक्शन ऐसी ऐसे डायलॉग कि आपके दिमाग में हार्ट अटैक आ जाए. क्रिंज चीजें कई बार एंटरटेन करती हैं लेकिन ये फिल्म वो भी नहीं कर पाती. अब खराब फिल्मों का पैमाना बैडएस रवि कुमार हो गया है.
एक्टिंग
हिमेश रेशमिया यहां जो करते हैं उसे एक्टिंग कहना एक्टिंग का घनघोर अपमान है. 80 के दशक में ऐसा नहीं होता था हिमेश भाई और लॉजिक तो बहुत जगह नहीं होता लेकिन यहां तो आपने क्या किया है वो आप ही समझ सकते हैं. प्रभु देवा ने जो किया उसको शायद बॉलीवुड की भाषा में जगह नहीं मिली है. सौरभ सचदेवा, संजय मिश्रा, कीर्ति कुल्हारी, प्रशांत नारायणन, सनी लियोनी की क्या मजबूरी रही कि उन्होंने ये किया और जो किया उसे एक्टिंग तो नहीं कहते.
डायरेक्शन
keith gomes ने फिल्म डायरेक्ट की है और उनके बारे में क्या लिखा जाए इसपर अभी रिसर्च करनी होगी. बंटी राठौर के डायलॉग ही बस फिल्म में हंसने का मौका देते हैं.
कुल मिलाकर अगर ये देखने है कि खराब से खराब फिल्म कैसे बन सकती है तो देखिए
रेटिंग – 1