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US Tariff on India: ट्रंप के टैरिफ पर भारत सरकार की सख्ती, बनाई 4 मंत्रियों की समिति, पीयूष गोयल करेंगे नेतृत्व

US Tariff on India: ट्रंप के टैरिफ पर भारत सरकार की सख्ती, बनाई 4 मंत्रियों की समिति, पीयूष गोयल करेंगे नेतृत्व

अमेरिका द्वारा भारत समेत 60 देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के फैसले के बाद भारत सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में चार कैबिनेट मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। यह समिति अमेरिका के 26% टैरिफ का भारतीय निर्यात और उद्योगों पर प्रभाव का आकलन करेगी और संभावित नीति प्रतिक्रिया की सिफारिश करेगी।

क्या है मामला?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को घोषणा की कि अमेरिका अब “रेसिप्रोकल टैरिफ” नीति लागू करेगा, जिसके तहत भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले सामान पर 27% टैरिफ लगाया जाएगा, जिसे बाद में घटाकर 26% किया गया। ट्रंप का तर्क है कि भारत जैसे देश अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाते हैं, इसलिए अब अमेरिका भी बराबरी का शुल्क लेगा।

किन क्षेत्रों पर होगा असर?
ट्रंप की घोषणा के अनुसार, भारत से निर्यात होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स प्रॉडक्ट्स, ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स, एल्यूमीनियम और स्टील पर सीधा असर पड़ेगा। विशेष रूप से टाटा मोटर्स, मदरसन सुमी और अन्य ऑटो कंपनियों के शेयरों में गिरावट की आशंका है क्योंकि अमेरिका ने ऑटोमोबाइल आयात पर 25% शुल्क लागू कर दिया है। मार्च में अमेरिका ने स्टील और एल्यूमीनियम पर भी ड्यूटी बढ़ाकर 25% कर दी थी।

ट्रंप की दलील
व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा,

“भारत हमसे 52% शुल्क लेता है, इसलिए हम उनसे इसका आधा, यानी 26% शुल्क लेंगे। यह रेसिप्रोकल टैरिफ है।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम अमेरिकी नौकरियों और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बचाने के लिए जरूरी है और इससे व्यापार असंतुलन भी दूर होगा।

भारत की रणनीति
भारत सरकार की नई समिति अमेरिकी टैरिफ के असर को समझेगी और अगले कदमों पर विचार करेगी। संभावना है कि भारत भी जवाबी कार्रवाई के तहत अमेरिकी उत्पादों पर काउंटर टैरिफ लगा सकता है। साथ ही प्रभावित उद्योगों को राहत देने के उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।

एशिया के अन्य देशों पर भी असर
ट्रंप ने इस टैरिफ नीति के तहत चीन पर 34%, वियतनाम पर 46% और कंबोडिया पर 49% शुल्क लगा दिया है। ऐसे में भारत सहित पूरे एशिया के निर्यातकों के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है।

निष्कर्ष
ट्रंप की टैरिफ नीति से भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में नया तनाव पैदा हो गया है। अब सबकी निगाहें पीयूष गोयल की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों और भारत सरकार की अगली नीति पर टिकी हैं।

 

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