Operation Sindoor Debate: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का जोरदार बयान, पाकिस्तान को बताया आतंक का गढ़, UNSC में भारत का पक्ष मजबूत

Operation Sindoor Debate: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का जोरदार बयान, पाकिस्तान को बताया आतंक का गढ़, UNSC में भारत का पक्ष मजबूत
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पाकिस्तान की आतंकवाद को संरक्षण देने वाली नीतियों को बेनकाब करने के सरकार के प्रयासों को विस्तार से रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की नीति आतंकवाद के खिलाफ पूरी तरह से जीरो टॉलरेंस की है, और यही रुख भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भी मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि दुनिया ने भारत के इस रुख को न केवल सुना बल्कि उसका समर्थन भी किया।
जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय का प्रमुख उद्देश्य पाकिस्तान की साजिशों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर करना था। उन्होंने बताया कि किस तरह से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने त्वरित और निर्णायक कार्रवाई की। भारत ने पूरी मजबूती के साथ वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को उजागर किया और उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए।
सदन में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने साफ किया कि पहलगाम हमले के बाद भारत को एक सशक्त और स्पष्ट संदेश देना आवश्यक था कि यदि भारत पर हमला किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इसके तहत 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें पांच अहम निर्णय लिए गए, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया गया। यह निर्णय तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता।
- अटारी चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया ताकि पाकिस्तान के साथ यातायात और व्यापार पर रोक लगे।
- एसएआरसी वीजा छूट योजना के अंतर्गत यात्रा कर रहे पाकिस्तानी नागरिकों को अब भारत आने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- पाकिस्तानी उच्चायोग में नियुक्त रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर भारत से निष्कासित किया जाएगा।
- पाकिस्तानी हाई कमीशन की कुल स्टाफ संख्या को 55 से घटाकर 30 किया जाएगा।
डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत की प्रतिक्रिया केवल सैन्य या घरेलू मोर्चे तक सीमित नहीं रही, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान की असलियत बताने में भी सक्रिय भूमिका निभाई गई। भारत ने यह बताया कि यह हमला न केवल जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए था, बल्कि इसका उद्देश्य भारत की सामाजिक एकता और सांप्रदायिक सद्भाव को भी तोड़ना था।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान का मकसद केवल सैन्य अशांति फैलाना नहीं, बल्कि भारत की सामरिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को प्रभावित करना है। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि वैश्विक समुदाय इस खतरे को समझे और एकजुट होकर इस पर कार्रवाई करे।
जयशंकर ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की पहल अमेरिका ने की थी। जयशंकर ने इसे पूरी तरह असत्य बताया और कहा कि भारत ने हमेशा अपनी नीति और निर्णय स्वायत्त रूप से लिए हैं।
विदेश मंत्री के इस विस्तारपूर्ण बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में सहन नहीं करेगा और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर स्तर पर कार्रवाई करता रहेगा। ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक समग्र राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा था, जिसमें कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया गया।